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Supreme Court: कॉलेजियम व्यवस्था व सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियों के बारे में विस्तृत वर्णन यहां देखें

सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) भारत का वरिष्ठ संवैधानिक न्यायालय है और इसके पास न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति है। भारत का मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय का प्रमुख और मुख्य न्यायाधीश होता है जिसमें अधिकतम 34 न्यायाधीश होते हैं।
भारत में शासन व्यवस्था संघीय व्यवस्था है लेकिन भारत में न्यायपालिका का स्वरूप एकीकृत न्यायपालिका है। भारत का सर्वोच्च न्यायालय न्यायिक समीक्षा की शक्ति के साथ देश का शीर्ष न्यायालय है एवं यह भारत के संविधान के तहत न्याय की अपील हेतु अंतिम न्यायालय है भारत एक संघीय राज्य है एवं इसकी एकीकृत न्याय प्रणाली है जिसके तीन स्तरीय संरचना है अर्थात् सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय और अधिनस्थ न्यायालय ।

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सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) की संक्षिप्त पृष्ठभूमि

  • अनुच्छेद 124 से 147 तक व भाग 5 में सर्वोच्च न्यायालय का उल्लेख है।
  • भारत में सर्वप्रथम 1774 “रेगुलेटिंग एक्ट” के तहत कोलकाता में 1774 में मुख्यालय की स्थापना की गई।
  • जिसमे  एक मुख्य न्यायाधीश व तीन अन्य न्यायाधीश थे।
  • प्रथम मुख्य न्यायाधीश एलिजा इम्पे था।
  • इस के निर्णयों की अपील ब्रिटेन के महाराजा की गुप्त सभा में की जा सकती है।
  • 1935 भारत शासन अधिनियम के तहत भारत में एक संघीय न्यायालय की स्थापना करेगा
  • 1937 में दिल्ली में  न्यायालय की स्थापना की गई।
  • एक मुख्य न्यायाधीश और सात अन्य न्यायाधीश रखा गया।
  • इसका प्रथम मुख्य न्यायाधीश सर मोरिच ग्वायर था ।
  • इसके खिलाफ अपील प्रिवी काउंसिल में की जा सकती थी ।

न्यायाधीशों से संबंधित जानकारी

  • सर्वोच्च न्यायालय में सर्वाधिक कार्यकाल वाले मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ा है ।
  • जिनका कार्यकाल 1978 से 1985 तक रहा है।
  • सुप्रीम कोर्ट में सबसे कम कार्यकाल वाले मुख्य न्यायाधीश K.N सिंह है ।
  • जिनका कार्यकाल 25 नवंबर 1991 से 12 दिसंबर 1991 तक रहा।
  • आज तक का सर्वोच्च न्यायालय में एक भी महिला मुख्य न्यायाधीश नहीं बनी है।
  • सुप्रीम कोर्ट की प्रथम महिला न्यायाधीश फातिमा बीबी थी
  • आज तक कुल महिला न्यायाधीश 8 बन चुकी है।
  • आठवीं महिला न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी जो वर्तमान में केवल एक ही महिला पद पर कार्यरत हैं।

भारत में एक सर्वोच्च न्यायालय(Supreme Court)

  • अनुच्छेद 124(1) भारत में एक सर्वोच्च न्यायालय होगा।
  • जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश और सात अन्य न्यायाधीश होगा।
  • संसद के द्वारा कानून बनाकर न्यायाधीशों की संख्या में वृद्धि कर सकते हैं।
  • वर्तमान सर्वोच्च न्यायालय का उद्घाटन एम.सी. सीतलवाड़ द्वारा 28 जनवरी 1950 को किया गया था।
  • जिसके प्रथम मुख्य न्यायाधीश हीरालाल जे. कानियां थे।
  • वर्तमान सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों में 2019 में वृद्धि की गई।
  • जिसमें 1 मुख्य न्यायाधीश और 33 अन्य न्यायाधीश होंगे।
  • वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन है। (जो 48 में मुख्य न्यायाधीश है)

अन्य न्यायाधीशों की योग्यताएं

  • सर्वोच्च न्यायालय(supreme court) के अन्य न्यायाधीशों की योग्यताएं अनुच्छेद 124(3) में उल्लेख है ।
  • वह भारत का नागरिक होना चाहिए।
  • वह कम से कम 5 वर्षों तक उच्च न्यायालय में न्यायाधीश का कार्यकाल कर चुका हो।
  • या वह कम से कम 10 वर्षों तक उच्च न्यायालय में अधिवक्ता का कार्य कर चुका हो।
  • या राष्ट्रपति की नजर में कानून का जानकारी (आज तक एक ही न्यायाधीश की नियुक्ति नहीं हुई है।)

न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया

  • सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया अनुच्छेद 124(2) में उल्लेख है ।
  • 1950 से 1993 तक सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति मंत्रिपरिषद की सिफारिश पर राष्ट्रपति के द्वारा की जाती थी ।
  • 1993 में कॉलेजियम व्यवस्था के द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति की सिफारिश पर की जाती थी ।
  • कॉलेजियम व्यवस्था एक समिति है ।
  • जिसका नाम भारतीय मीडिया के द्वारा दिया गया ।
  • इसमें एक अध्यक्ष और 4 सदस्य होते हैं ।
  • कॉलेजियम का अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश होता है ।
  • चार अन्य सदस्यों सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश होते हैं ।
  • वर्तमान में कॉलेजियम व्यवस्था के द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति की सिफारिश पर की जाती थी ।

न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया

  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया अनुच्छेद 124(4)  में है।
  • न्यायाधीशों के खिलाफ हटाने का प्रस्ताव संसद के किसी भी सदन में लाया जा सकता है।
  • यदि पहले लोकसभा में लाना है तो 100 सदस्यों का समर्थन चाहिए।
  • यदि पहले राज्यसभा में जाना है तो 50 सदस्यों का समर्थन चाहिए।
  • 14 दिन पूर्व संबंधित न्यायाधीश को सूचना देनी होगी।
  • न्यायाधीशों को हटाने का कारण आरोप, कदाचार, असर्मथता का आरोप लगाने पर हटाया जाता है।
  • लोकसभा व राज्यसभा के उपस्थित सदस्यों 2/3 बहुमत से पारित होकर राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के द्वारा हटाया जाता है।

वेतन भरते व पेंशन

  • सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन भरते व पेंशन अनुच्छेद 125 में उल्लेख है ।
  • सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का वेतन 2,80,000 प्रतिमाह होता है।
  • अन्य न्यायाधीशों का वेतन 2,50,000 प्रतिमाह होता है।
  • यह वेतन भारत की संचित निधि द्वारा दिया जाता है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश

  • अनुच्छेद 126 में सर्वोच्च न्यायालय में कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश का उल्लेख किया गया है।
  • सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पद किसी कारण से रिक्त हो जाए तो राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट में किसी भी न्यायाधीश को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर सकता है।

गणपूर्ति या कोरम

  • अनुच्छेद 127 में गणपूर्ति या कोरम पूरा ना हो तो सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति से अनुमति देकर हाईकोर्ट के न्यायाधीशों को सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त करेगा।
  • ऐसे न्यायाधीश को तदर्थ या अस्थाई या एडहां‌क न्यायाधीश कहते हैं।
  • आर्टिकल 128 के तहत अगर सर्वोच्च न्यायालय की गणपूर्ति पूरी ना हो तो सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति से अनुमति लेकर सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को न्यायाधीश के रूप में नियुक्त कर सकते हैं।
  • गणपूर्ति/कोरम की स्थिति में नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति की अनुमति से करता है।

सर्वोच्च न्यायालय(Supreme Court)की शक्तियां

एक अभिलेखीय न्यायालय 
  • अनुच्छेद 129 के तहत सर्वोच्च न्यायालय एक अभिलेखीय न्यायालय है।
  • सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए निर्णय का रिकॉर्ड रखा जाएगा।
  • सभी अधीनस्थ न्यायालय इनकी पालना करेंगे।
  • अगर अधीनस्थ न्यायालय इनका पालन नहीं करेगा तो सुप्रीम कोर्ट की न्यायिक अवमानना के द्वारा दंडित किया जाएगा।
  • अनुच्छेद 130(1) के तहत सुप्रीम कोर्ट का मुख्यालय दिल्ली होगा लेकिन भारत का राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से भारत के सुप्रीम कोर्ट के खंडपीठ की स्थापना कर सकते हैं।
  • अनुच्छेद 130(2) सुप्रीम कोर्ट की ज्यादातर बैठकर दिल्ली में होगी लेकिन सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति से अनुमति लेकर भारत में कई पर भी बैठकों का आयोजन करा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) की आरंभिक या मूल क्षेत्रअधिकार
  • भारत में घटित ऐसे मामले जिसकी सुनवाई केवल सुप्रीम कोर्ट ही कर सकता है वो मूल क्षेत्रअधिकार में आते है।
  • केंद्र व किसी राज्य सरकार के मध्य विवाद ।
  • दो राज्य की सरकारों के मध्य विवाद ।
  • दो या दो से अधिक राज्यों के मध्य विवाद दो ।
  • दो से अधिक राज्यों के मध्य जल विवाद संसद के द्वारा सुना जाता है।
अपीलीय क्षेत्रअधिकार
  • सर्वोच्च न्यायालय(supreme court) भारत में किसी उच्चतम न्यायालय के द्वारा निर्णय की अपील सुनवाई करता है।
  • 132 के तहत उच्चतम न्यायालय के द्वारा दीवानी/फौजदारी मामले में दिए गए निर्णय के विरुद्धा अपील सुप्रीम कोर्ट में की जा सकती है।
  • 133 में केवल दीवानी मामले अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है।
  • 134 में फौजदारी मामलों की अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है।
  • 135 सैनिक न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के विरुद्ध अपील की जाती है।
  • 136 उच्चतम न्यायालय के द्वारा निर्णय के विरुद्ध  S.C.P.  दायर की जा सकती है।
  • 137 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णय की जांच की जाती है।
  • 138 के तहत संसद कानून बनाकर सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्रअधिकार में वृद्धि कर सकती है।
परामर्शदाती क्षेत्राधिकार
  • राष्ट्पति सुप्रीम कोर्ट से परामर्श माँग कर सकता है लेकिन सुप्रीम कोर्ट परामर्श देने के लिए बाध्य नहीं है।
  • अगर सुप्रीम कोर्ट परामर्श दे दे तो राष्ट्रपति परामर्श मारने के लिए भी बाध्य नहीं है।
  • नोट-अगर राष्ट्रपति ने 26 जनवरी 1950 से पहले के किसी घटित मामले पर परामर्श मांगा तो सुप्रीम कोर्ट परामर्श देने के लिए बाध्य हैं।
सर्वोच्च न्यायालय(Supreme Court) के संबंधित अन्य जानकारी
  • सुप्रीम कोर्ट मौलिक अधिकारों का रक्षक होता है।
  • मौलिक अधिकारों का हनन या उल्लंघन होने पर सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 32 के तहत पांच प्रकार की रीट जारी कर सकता ह।
  • सुप्रीम कोर्ट की भाषा अनुच्छेद 348 के तहत केवल अंग्रेजी होगी।
  • न्यायाधीशों की अंतिम आयु 65 वर्ष तक होती है।
  • सेना निर्वत न्यायाधीश वकालत व लाभ का पद धारण नहीं कर सकते हैं।

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