WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

Directive Principal of State Policy: राज्य के नीति निर्देशक तत्व, संबंधित अनुच्छेद की जानकारी यहाँ जाने

भारतीय संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्व (Directive Principal of State Policy) आयरलैंड से लिए गए हैं और इसका तात्पर्य यह है कि संविधान में केंद्र और राज्य सरकार दोनों को ही निर्देश दिए गए हैं कि जनता के संबंध में कुछ भी कानून बनाना हो या कोई विधि बनानी हो तो इन सब चीजों को करने में संविधान में दिए गए नीति निर्देशक तत्वों को ध्यान में रखा जाएगा। नीति निदेशक तत्व का तात्पर्य यह है कि सरकार को जनता को किन प्रकारों की सुविधा देनी चाहिए, सरकार को क्या करना चाहिए, इन्हें संबंधित प्रावधानों में भारतीय संविधान में राज्य के नीति निदेशक तत्व के रूप में बताया गया है। इनमें तीन प्रमुख विचारधारा गांधीवादी, समाजवादी और उदारवादी का महत्व बताया गया है।

neeti nirdeshak tatv

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now

नीति निर्देशक तत्व न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं है अतः इसे न्यायालयों द्वारा लागू नहीं कराया जा सकता इसे न्यायालया द्वारा भले ही लागू न किया जा सके किंतु इसके पीछे जनमत की महान शक्ति है है जो प्रत्येक सरकार को इसे लागू करने के लिए बाध्य करती है।

Paragraph Related to Directive Principles of Policy

  • नीति निदेशक तत्व सविधान निर्माण के दौरान नीति निर्देशक तत्वो का निर्माण करने के लिए नीति निदेशक तत्व समिति का गठन किया गया
  • जिसका अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर को बनाया गया ।
  • नीति निदेशक तत्वों का उल्लेख संविधान के भाग 4 व अनुच्छेद 36 से 51 तक किया गया है |
  • नीति निदेशक तत्व आयरलैंड से लिए गए है।
  • नीति निदेशक तत्व की प्रकृति अवाद योग्य है।

राज्य के नीति निदेशक तत्व के प्रमुख कथन 

  • K.T. शाह ने नीति निर्देशक तत्व को एक ऐसा बैंक बताया जिसका भुगतान राज्य की इच्छा पर निर्भर करता है।
  • आइवर जेनिग्स ने नीति निर्देशक तत्वो राज्य की आत्मा कहा है।
  • डॉ.भीमराव ने कहा कि नीति निदेशक के माध्यम से राज्य में सामाजिक व आर्थिक लोकतंत्र स्थापना की जाती है।
  • नीति निदेशक तत्व गांधीवादी दर्शन से प्रभावित है।
  • नीति निदेशक तत्व लोक कल्याणकारी राज्य का प्रतीक है ।

नीति निदेशक तत्व से संबंधित अनुच्छेद (Directive Principal of State Policy)

  • अनु. 36. के तहत “राज्य शब्द की परिभाषा” तय की गई है इसका अर्थ कानून बनाने वाली कार्यपालिका यानी संसद, विधानसभा, स्थानीय स्तर पर शासन करने वाली ग्राम पंचायत से है।
  • अनु. 37. नीति निदेशक तत्व ही “प्रकृति अवाद योग्य” होगी। लेकिन सरकार नीतियों का निर्माण करते समय इन बातो को ध्यान में रखेगा।
  • अनु. 38. राज्य नागरिको के “लोक कल्याण में वृद्धि” के  लिए सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक न्याय की व्यवस्था करेगा।
    नोट-44 वा संविधान संशोधन 1978 के द्वारा यहाँ कहा गया कि राज्य आय की असमानता को दूर करेग।
  • अनु. 39. ‘1) राज्य महिला व पुरुषो को “रोजगार के समान अवसर”
    2) राज्य भौतिक संसाधनों का वितरण इस प्रकार करेगा जिससे अधिकतम लोगो का कल्याण हो सके।
    3) राज्य आर्थिक संसाधनों के साधनों का केंद्रीकरण नहीं होने देगा।
    4) राज्य महिला व पुरुषों को समान कार्यों के लिए समान वेतन देगा।
    5) राज्य महिलाओं को पुरुषों को ऐसे कार्य नहीं देगा जो उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो।
    6) बच्चों के लिए गरिमा युक्त व भयमुक्त वातावरण की व्यवस्था करेगा।
  • अनुच्छेद 40. राज्य “ग्राम पंचायतों का गठन” करेगा इस अनुच्छेद गांधीजी के सागरवृतियता सिद्धांत से प्रभावित है अतः ग्राम स्वराज्य से प्रभावित है।
  • अनुच्छेद 41. इस अनुच्छेद के तहत के राज्य निशक्ततो यानी दिव्यांगों, बच्चों व वृद्धो की सहायता करेगा। राज्य “नागरिकों के लिए उचित काम की व्यवस्था” करेगा जैसे मनरेगा।
  • अनुच्छेद 42 राज्य नागरिकों के लिए “मानवोचित दशाओ की उचित व्यवस्था” करेगा।
  • अनुच्छेद 43 राज्य नागरिकों को “जीवन निर्वाह योग्य वेतन” उपलब्ध कराएगा राज्य न्यूनतम मजदूरी की दर तय करेगा
    अनुच्छेद 43.1 इसमें कहा गया कि राज्यों उद्योगों के संबंध में कर्मकारों की भागीदारी तय करेगा।
    अनुच्छेद 43.2 राज्य सहकारी संस्थाओं की स्थापना को बढ़ावा देगा
  • अनुच्छेद 44 राज्यों “समान नागरिक संहिता” को लागू करेगा

    नोट-समान नागरिक संहिता भारत में केवल गोवा राज्य में ही लागू है
    नोट-अगर संपूर्ण भारत में समान नागरिक संहिता लागू हो जाती है तो सभी धर्मों के विवाह, तलाक, गोद लेने व उत्तराधिकार के नियम एक समान हो जाएगा।

  • अनुच्छेद 45. राज्यों बच्चों के लिए “अनिवार्य शिक्षा”की उचित व्यवस्था करेगा।
  • अनुच्छेद 46. राज्य “एससी, एसटी व पिछड़े वर्गों” के लिए उचित शिक्षा की व्यवस्था करेगा।
  • अनुच्छेद 47. राज्यों “लोगों के जीवन स्तर” स्वास्थ्य स्तर व पोषण आहार स्तर में सुधार करेगा।
  • अनुच्छेद 48.राज्य “कृषि व पशुपालन” को विकसित करने के लिए वैज्ञानिक प्रयास करेगा राज्यों गो हत्या पर प्रतिबंध लगाएगा।
    अनुच्छेद 48.A-42वा संविधान संशोधन 1976 द्वारा जोड़ा गया इसमें कहा कि राज्य वन एवं वन्यजीवों पर्यावरण की रक्षा करेगा।
  • अनुच्छेद 49. राज्य राष्ट्रीय स्मारकों की रक्षा करेगा।
  • अनुच्छेद 50. राज्यों “कार्यपालिका और न्यायपालिका” को अलग-अलग करेगा।
  • अनुच्छेद 51. “अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा” को बढ़ावा देना भारत अंतरराष्ट्रीय संधि व समझौता का पालन करेगा।
    भारत अंतरराष्ट्रीय विवादों का समाधान करेगा।
    भारत अपने पड़ोसी राज्यों के साथ मधुर संबंध बनाए रखेगा।
    भारत की विदेशी नीति का आधार इसी अनुच्छेद को माना जाता है।
राज्यों के नीति निर्देशक तत्वों का वर्गीकरण
भारत के संविधान में मूल रूप से राज्यों के नीति निर्देशक तत्वों का वर्गीकरण नहीं किया है लेकिन उनके निर्देशों और सामग्री के आधार पर आमतौर पर तीन प्रकार से वर्गीकरण किया जा सकता है जो निम्नलिखित है-

  1. समाजवादी सिद्धांत
  2. गांधीवादी सिद्धांत 
  3. उदारवादी-भौतिक सिद्धांत ।
  • समाजवादी सिद्धांत इसमें नीति निर्देशक सिद्धांत समाजवाद की विचारधारा पर विचार करते हैं और फिर एक ऐसे राज्यों की रूपरेखा तैयार करते हैं जो लोकतांत्रिक समाजवादी है इस अवतार ना मैं लोगों को सामाजिक और आर्थिक न्याय प्रदान करना है ताकि राज्यों को कल्याणकारी राज्य बनाया जा सके।
  • गांधीवादी सिद्धांत गांधी के सपनों को पूरा करने के लिए उनके कुछ विचार थे जो शामिल किए गए थे और वे राज्य के नीति निर्देशक है।
  • उदारवादी- बौद्धिक सिद्धांत उदारवाद की विचारधारा मे समान नागरिक संहिता की आवश्यकता और चलने की स्वतंत्र दिना वन और वन्य जीव सुरक्षा इस प्रकार इस में शामिल किया गया।
संभावित प्रश्न
  1. राज्य के नीति निर्देशक तत्व (Directive Principal of State Policy) के महत्व की समीक्षा कीजिए।
  2. भारतीय संविधान में वर्णित नीति निदेशक तत्वों की विवेचना कीजिए।
  3. नीति निदेशक तत्व से संबंधित अनुच्छेद का वर्णन कीजिए।

इन्हे भी जाने –

  1. सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) की संक्षिप्त पृष्ठभूमि व सम्पूर्ण जानकारी जाने यहाँ से 
  2. तो इस प्रकार हुआ भारतीय संविधान का निर्माण जानिए संपूर्ण जानकारी
  3. जातिवाद क्या है, भारत में जातिवाद(CASTEISM) का इतिहास कारण एवं प्रभाव सभी जानकारी यहाँ

  4. जाने यहाँ संसद के बारे में सम्पूर्ण जानकारी साथ ही महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी शामिल है

Leave a Comment