राजस्थान की कला संस्कृति को आगे बढ़ाते हुए आज का अध्ययन राजस्थान के प्रमुख मेले और त्यौहार (Rajasthan ke Pramukh mele aur tyauhaar) इसकी विधिवत शुरुआत करते हैं यह बहुत महत्वपूर्ण व काफी लंबा अध्याय है। इसमें पहले हम त्यौहार पर चर्चा करके इसके बाद मेलो पर चर्चा करेंगे। मेले भी दो प्रकार के होते हैं धार्मिक मेले और पशु मेले। इसके अलावा कुछ महोत्सव पढगे। इसको पढ़ने से पहले हम राजस्थान के प्रमुख त्यौहार की चर्चा करते है। आज तक सबसे ज्यादा परीक्षा में सवाल हिंदू धर्म से बना है तो हम सबसे पहले हिंदू धर्म की शुरुआत करते हैं।
मित्रो त्यौहार किसी ना किसी धार्मिक मान्यता के पीछे आयोज होता है जिसे हम त्यौहार कहते हैं जैसे दीपावली का त्यौहार होता है। इस दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे और उनके आगमन की खुशी में घी के दीपक जला कर उनका स्वागत किया गया। तब से दीपोत्सव दीपावली की शुरुआत हो गई। होली, गणगौर, तीज चाहे कोई त्यौहार हो कोई मान्यता उनके पीछे होती है।
“तीज त्यौहार बावड़ी ले डूबी गणगौर” (Rajasthan ke Pramukh mele aur tyauhaar)
त्यौहार के बारे में हिंदू धर्म में कहा गया है “तीज त्यौहार बावड़ी ले डूबी गणगौर” यानी छोटी तीज से त्यौहार की शुरुआत होती है और गणगौर को त्यौहार समाप्त हो जाते हैं। लेकिन त्यौहार शुरुआत करने से पहले कुछ बेसिक बातों का हमें ध्यान होना चाहिए। आप कोई भी त्यौहार (Rajasthan ke Pramukh mele aur tyauhaar) मनाते हैं लेकिन आपको कैसे पता चलेगा कि वह त्यौहार किस तिथि पर आता है। इसका आधार एक ही है वह है कैलेंडर। प्रमुख कैलेंडर के बारे में कुछ संक्षिप्त जानकारी यहाँ इस प्रकार है
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कैलेंडर से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
ग्रिगोरियन कैलेंडर शक संवत कैलेंडर की तुलना में 78 वर्ष आगे रहता है।
विक्रम संवत कैलेंडर ग्रेगोरियन कैलेंडर की तुलना में 57 वर्ष आगे रहता है।
ग्रिगोरियन कैलेंडर हिजरी संवत की तुलना में 662 साल आगे रहता है।
विक्रम संवत 2065 में ग्रिगोरियन वर्ष क्या था ?
विक्रम संवत 2065-57=2008.
वर्ष 2010 ई. में शक संवत कौन सा था?
ग्रिगोरियन वर्ष=210,शक संवत =2010-78=1932.
इस दिन गणेश विसर्जन के समय आयोजन नृत्य छम छड़ी नृत्य एवं नृत्य में शामिल छोटे बच्चे, पुरूष होकडा कहलाता है।
गणेश मेला रणथंभोर (सवाई माधोपुर) में भरता है।
नाचना गणेश अलवर का प्रसिद्ध है।
बाजना गणेश सिरोही का प्रसिद्ध है।
गठ गणेश जयपुर का प्रसिद्ध है।
ऋषि पंचमी भाद्रपद शुक्ला ५
ऋषि मुनियों की पूजा इस दिन की जाती है।
महेश्वरी समाज के लोग इस दिन अपना रक्षाबंधन मनाते हैं।
राधा अष्टमी भाद्रपद कृष्ण ८
इस दिन राधा का जन्मोत्सव है।
इस दिन निम्बार्क नगर या सलेमाबाद अजमेर में राधा का मेला भरता है।
तेजा दशमी भाद्रपद शुक्ला १०
इस दिन तेजाजी का धार्मिक मेला खरनाल नागौर में भरता है।
तेजाजी का पशु मेला परबतसर नागौर में भरता है।
नोट- वर्ष 2019 में तेजा दशमी पर राजकीय अवकाश की घोषणा की गई।
इस दिन विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है।
जलझूलनी एकादशी भाद्रपद शुक्ला ११
इसका अन्य नाम देव झूलने एकादशी,विष्णु परिवर्तन उत्सव है।
राजस्थानी भाषा में इस दिन देवी देवताओं को पवित्र जलाशयों में स्नान करवाना “ठाकुर जी की रेवाड़ी” कहलाता है।
अनंत चतुर्दशी
विष्णु के अवतार अनंत भगवान का व्रत रखा जाता है। नॉट- श्राद्ध पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या
सांझी आश्विन कृष्ण १ से अमावस्या तक
इस दिन कुंवारी कन्याओं का वृत है।
पार्वती को समर्पित त्यौहार है।
इसका प्रचलन सर्वाधिक हाडौती क्षेत्र में है।
सांझी गोबर से बने जाती है।
केले की सांझी नाथद्वारा-राजसमंद की प्रसिद्ध है।
नवरात्रा आश्विन शुक्ल १ से ९ तक
यह नवरात्रा सरदीय नवरात्रा कहलाते हैं।
अष्टमी के दिन देवी दुर्गा की पूजा होती है।
नोट- देवी दुर्गा को भूमि की रक्षक देवी कहा जाता है।
इस नवरात्र में गुजरात में गरबा नृत्य आयोजित होता है।
राजस्थान में गरबा नृत्य इस दिन डूंगरपुर और बांसवाड़ा में होता है।
देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर राक्षस पर विजय की खुशी में नवरात्र मनाए जाते हैं।
दशहर अश्विन शुक्ला १०
राजस्थान में प्रसिद्ध कोटा का है।
लीलटांस पक्षी के दर्शन इस दिन शुभ माने जाते हैं।
इस दिन खेजड़ी वृक्ष की पूजा होती है।
रावण का एकमात्र मंदिर मंडोर जोधपुर में है।
शरद पूर्णिमा आश्विन पूर्णिमा
सर्दी ऋतु का आगमन होता है।
इस दिन चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं का प्रदर्शन करता है।
इस दिन चंद्रमा से अमृत की बारिश होती है।
चित्तौड़गढ़ में इस दिन मीरा महोत्सव मनाया जाता है।
करवा चौथ कार्तिक कृष्णा ४
महिलाएं अपने पति की दीर्घायु हेतु इस दिन व्रत रखती है।
करवो के दान का विशेष महत्व होता है।
इस दिन चौथ माता की कथा व पूजा की जाती है।
धनतेरस कार्तिक कृष्णा १३
इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है।
चांदी व अन्य धातुओं के बर्तन खरीदने पर धन मे 13 गुना वृद्धि होती है।
दीपावली कार्तिक अमावस्या
इस दिन भगवान श्री राम ने 14 वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या लौटे थे।
भगवान श्री कृष्ण ने कन्याओं को आजाद करवाया।
सिक्खों के छठे धर्म गुरु हरगोविंद को जहांगीर ने इस दिन आजाद किया था।
इस दिन महावीर स्वामी एवं स्वामी दयानंद सरस्वती का निर्वाण प्राप्ति हुई।
दीपावली को हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है।
Conclusion:-राजस्थान के प्रमुख मेले और त्यौहार (Rajasthan ke mele aur tyauhaar) में छोटी तीज से लेकर दीपावली तक सम्पूर्ण मेले और त्यौहार की चर्चा इसमें की है अन्य सभी की आने वाले आर्टिकल में मिलेगा। आशा है की आप को आज का ये आर्टिकल पंसद आया अगर पंसद आया तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे। त्यौहार (Rajasthan ke Pramukh mele aur tyauhaar) में भी हिंदू धर्म के त्यौहार, सिख धर्म के त्यौहार, मुसलमानों के त्यौहार, सिख ईसाई आदि सभी धर्मों के त्यौहार की विस्तृत चर्चा आने वाले आर्टिकल्स में की जाएगी।
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