इस पेज पर मौलिक अधिकारों की ऐतिहासिक, वर्तमान व संपूर्ण आर्टिकल, आयोग, आपातकाल, रिटे तथा संपूर्ण प्रतियोगी परीक्षा व अन्य परीक्षा को मध्य नजर में रखते हुए एक ही जगह मौलिक अधिकारों की संपूर्ण जानकारी यह दी गई है। किसी भी परीक्षा में इस पेज में दी गई जानकारी से बाहर मौलिक अधिकारों (Fundamental-Rights) से संबंधित सवाल नहीं के बराबर बनते है।
Fundamental-Rights
मौलिक अधिकार (Fundamental-Rights) कि परिभाषा और मौलिक अधिकार व मानवाधिकार में क्या अंतर है जानिए मौलिक अधिकार :- व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास करने के लिए संविधान के माध्यम से जो अधिकार दिया जाता है उसे मौलिक अधिकार कहते हैं | मानवाधिकार :- मनुष्य को मनुष्य होने के नाते स्वत: प्रकृति के द्वारा प्राप्त अधिकारों को मानव अधिकार कहते हैं जैसे:- खाना , पीना | व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें ![]() |
मौलिक अधिकारों (Fundamental-Rights) से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
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संविधान निर्माण के द्वारा |
मौलिक अधिकारों (Fundamental-Rights) से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
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6 मौलिक अधिकार कौन-कौन से हैं
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संविधान में Right of equality का वर्णन अनुच्छेद 14 में किया गया है। इनके सभी अनुच्छेद 14 से 18 तक का वर्णन यहाँ सरल और नई जानकारी के आधार पर किया गया है। समानता का अधिकार से संबंधित जो संविधान संसोधन हुआ है वो भी शामिल किया गया है ताकी एक्साम्स में आप के किसी प्रकार की गलती की कोईं गुजारिश नहीं रहे।
#1. समानता का अधिकार(Right of equality) – अनुच्छेद (14 से 18)]
अनुच्छेद 14(1) विधि के समक्ष समानता 14(2) विधि के समक्ष समानता (Right of equality)अनुच्छेद 15(1) राज्यों किसी भी व्यक्ति के साथ धर्म , मूल , वंश , जाति , लिंक , जन्म स्थान आदि में भेदभाव नहीं करेगा |अनुच्छेद 15(2) राज्यों में स्थित सार्वजनिक संस्थाएं सभी के लिए समान उपयोगी होगी | 15(3) राज्य महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष उपबंध कर सकता है | Right of equality . 15(4) प्रथम संविधान संशोधन 1951 में राज्य एससी और एसटी व पिछड़ा वर्ग के लिए शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण दिया गया | अनुच्छेद 15(5) 93 वां संविधान संशोधन 2006 राज्य एससी, एसटी, ओबीसी को उच्च शिक्षण संस्थाओं में भी आरक्षण दिया जाएगा | अनुच्छेद 15(6) 103 वां संविधान संशोधन 2019 जनरल [EWS] को आर्थिक पिछड़ापन के आधार पर शिक्षण संस्थाओं पर 10% आरक्षण दिया जाएगा | [ नोट :- अनुच्छेद 15(4) , अनुच्छेद 15(5) आरक्षण का आधार :- सामाजिक शैक्षिक पिछड़ापन ] अनुच्छेद 16(1) राज्यों सभी लोक सेवाओं (सरकारी नौकरियां) में सभी को समान अवसर देगा |अनुच्छेद 16(2) राज्यों लोक सेवाओं में जाति, धर्म, मूल, वंश, लिंक, जन्म स्थान आदि के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा | |
काका कालेकर आयोग
(1990 वी पी विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार मंडल आयोग की सिफारिश पर ओबीसी को केंद्र में 27% आरक्षण दे दिया |
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अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता के अंत का उल्लेख है | ( छुआछूत की भावना को समाप्त करना)संसद के अधिनियम :-(1)1995अस्पृश्यता का निवारण अधिनियम | |
उपाधियों का अंत अनुच्छेदअनुच्छेद 18(1) सरकार शिक्षा व सेना के अलावा किसी क्षेत्र में उपाधि नहीं देगी |अनुच्छेद 18(2) भारतीय नागरिकों को विदेशी उपाधि धारण करनी है तो पहले भारत के राष्ट्रपति से अनुमति लेनी होगी | |
#2. स्वतन्त्रता का अधिकार (Right to freedom) अनुछेद (19-22)
मूल सविधान में 7 प्रकार की स्वतन्त्रता थी लेकिन वर्तमान में 6 प्रकार की स्वतन्त्रता है। संघ या सगठन का गठन , 6 प्रकार की स्वतन्त्रता (Right to freedom) है :- अनुछेद19(1)(a) विचार और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता। अनुछेद 19(1)(b) संभा आयोजन स्वतंत्रता। (बिना हथियार व शांतिपूर्वक) (सिख धर्म के व्यक्ति कटार धारण करके सभा आयोजन कर सकते हैं |) अनुछेद 19(1)(c) संघ व संगठन के गठन कि स्वतंत्रता। (सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े व्यक्ति संघ या संगठन का गठन नहीं कर सकता है) अनुच्छेद19(1)(d) भारत भ्रमण की स्वतंत्रता | (जहां धारा 144 व सैनिक शासक हो वह भ्रमण नहीं कर सकते हैं ) अनुच्छेद 19(1)(e) स्थाई निवास की स्वतंत्र और (f) वर्तमान में निरसित है। ( मूल में संपत्ति की स्वतंत्र थी) अनुच्छेद 19(1)(g) आजीविका चलाने के लिए व्यापार की स्वतंत्रता (Right to freedom) है। नोट :– अनुच्छेद 19(2) से अनुच्छेद 19(6) इन स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार है अगर वह देश की एकता, अखंडता सांप्रदायिक सौहार्द को खतरा उत्पन्न होने पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है। संसद या न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचने पर भी प्रतिबंध लगाया जाता है। |
अनुच्छेद 20 अपराधों के संबंध में दोष सिद्धि में संरक्षणअनुच्छेद 20(1) व्यक्ति ने जिस समय या परिस्थिति में अपराध किया है उसे उसी समय या परिस्थिति में दंडित किया जाए | अनुच्छेद20(2) एक अपराध के लिए एक दंड देना। |
अनुच्छेद 21 प्राण व दैहिक स्वतंत्र का उल्लेख, जीवन जीने का अधिकार।अनुच्छेद 21(A) 86 वा संविधान संशोधन 2002 में 6 से 14 वर्ष के बच्चों को अनिवार्य और निशुल्क शिक्षा का प्रावधान किया गया। |
आर्टिकल 22 गिरफ्तार करते समय जो अधिकार है उनका उल्लेख किया गया है।अनुच्छेद 22(1) गिरफ्तार कर लिया है तो उसको अपनी गिरफ्तारी के कारण जानने की स्वतंत्र हैं | 22(2) व्यक्ति को अगले 24 घंटों में निकट न्यायालय में पेश करना जरूरी है 24 घंटे इनकी यात्रा का समय शामिल नहीं होता है अवकाश का समय शामिल होता है। |
नोट :- कोई व्यक्ति निवारण निरोधक अधिनियम दुश्मन देश भक्ति आतंकवादी गिरफ्तार वह तो यह मौलिक अधिकार लागू नहीं होते हैं उन्हें अधिकतम 3 माह के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है।
अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल – |
#3. शोषण के विरुद्ध अधिकार अनुच्छेद (23 से24)
अनुच्छेद 23 बलात श्रम निषेध यानी बल पूर्वक कार्य मना है।मानव दूर व्यवहार, मानव व्यापार, आदि पर प्रतिबंध लगाया गया। अनुच्छेद 24 बाल श्रम निषेध –14 वर्ष से कम आयु के बालकों को खतरनाक कारखाना में कार्य नहीं कराया जा सकता है खतरनाक कार्य :- उत्खनन कार्य दूसरा ज्वलनशील कार्य व रासायनिक कार्य। |
#4. धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार अनुच्छेद (25 से 28)
अनुच्छेद 25 प्रत्येक व्यक्ति को लोक व्यवस्था, सदाचार व स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए धार्मिक अंत करण, किसी भी धर्म का पालन, धर्म का प्रचार प्रसार करना, धर्म के अनुरूप आचरण करने की स्वतंत्रता है।
(नोट :- 2017 सायरा बानो वर्सेस भारत संघ में तीन तलाक धर्म के अनुरूप आचरण नहीं है इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी)अनुच्छेद 25 में स्पष्ट रूप से धर्म परिवर्तन के बारे में लिखा नहीं है लेकिन यह स्पष्ट रुप से लिखा है कि किसी के दबाव या प्रलोभन किया गया धर्म परिवर्तन स्वीकार नहीं किया जाएगा। |
अनुच्छेद 26 में धार्मिक कार्यों के प्रबंध के स्वतंत्रकिसी भी धर्म का व्यक्ति अपने धर्म से संबंधित धार्मिक संस्थाओं का गठन कर सकता है। |
अनुच्छेद 27 धार्मिक कर निषेधकिसी एक विशेष धर्म के लोगों से किसी प्रकार का कोई कर नहीं लिया जा सकता है। |
अनुच्छेद 28 धार्मिक शिक्षा निषेधसरकारी,गैर सरकारी व सरकार के द्वारा मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं धर्म की शिक्षा पर प्रतिबंध है। |
#5. शिक्षा व संस्कृति का अधिकार अनुच्छेद 29 से 30
अनुच्छेद 29 अल्पसंख्यक को अपनी भाषा, लिपि व संस्कृति की रक्षा कर सकते हैं इनका पालन भी कर सकते हैं। ( नोट :- केंद्रीय स्तर पर हिंदू धर्म के अलावा सभी अल्पसंख्यक हैं |)अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यक धर्म के लोग अपने धर्म की शिक्षा देने के लिए धार्मिक शिक्षण संस्थाओं की स्थापना कर सकते हैं | ( नोट :- अनुच्छेद 28 का उल्लंघन |) [वर्तमान में 6 धर्म अल्पसंख्यक हैं :- मुस्लिम, सिख,ईसाई, पारसी, बौद्ध और जैन |] |
अनुच्छेद 31 संपत्ति का अधिकार अनुच्छेद 31 रिक्त है44 वा संविधान संशोधन 1978 मोरारजी देसाई ने इसे मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया और इसका उल्लेख 300A में कानूनी अधिकार बना दिया गया | |
#6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार अनुच्छेद 32
इसे मौलिक अधिकारों का रक्षक भी कहा जाता है | डॉ आंबेडकर ने अनुच्छेद 32 को सविधान की आत्मा कहा है | संपूर्ण संविधान में महत्वपूर्ण अनुच्छेद :- अनुच्छेद 31 मौलिक अधिकारों में महत्वपूर्ण अनुच्छेद :- अनुच्छेद 32 नीति निर्देशक तत्व में महत्वपूर्ण अनुच्छेद :-अनुच्छेद 39 |
नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होने पर सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट को रीट जारी करने का अधिकार है | सुप्रीम कोर्ट भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के अनुसार पांच प्रकार की रिट जारी करता है | हाईकोर्ट भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के अनुसार छह प्रकार की रिट जारी करता है | रिट जारी करने वाली एकमात्र ऐसी शक्ति है जो सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट में ज्यादा है | |
रिटे के प्रकार
बंदी प्रत्यक्षीकरण ( हैबियस कार्पस ) शाब्दिक अर्थ :- बंदी बनाए गए व्यक्ति को सशरीर न्यायालय में पेश करना जब किसी भी व्यक्ति को अवैध तरीकों से गिरफ्तारियां या बंदी बनाया हो तो उसे 24 घंटों के अंदर निकटतम न्यायालय में पेश करने के लिए यह रिट जारी की जाती है | ( नोट :- बंदी प्रत्यक्षीकरण सार्वजनिक और निजी दोनों के खिलाफ ) |
उत्प्रेषण (ससियोरी) शाब्दिक अर्थ :- सूचना देना या पोषित करना किसी अधिनस्थ न्यायालय में चल रहे मामले को मंगाने के लिए यह रिट जारी की जाती है | |
प्रतिषेध (प्रोहिबिशन) शाब्दिक अर्थ :- मना करना या रोकना | जब अधीनस्थ न्यायालय अपने क्षेत्राधिकार से बाहर जा कर कार्य करें तो ऊपर वाला न्यायालय उसे कार्य करने से रोकता है | |
परमादेश (मेण्डीमस) शाब्दिक अर्थ :- हम आपको आदेश देते हैं | जब कोई अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करता है तो यह रिट जारी की जाती है | |
अधिकार पृच्छा (को वारंटो) शाब्दिक अर्थ :- हम आपको पूछते हैं | |
इंजेक्शन :- अंतरिम राहत देने के लिए केवल हाई कोर्ट के द्वारा ही जारी की जाती है | |
अनुच्छेद 33, 34, 35
अनुच्छेद 33 :- व्यक्ति सैन्य बलों से अन्वेषण , गुप्तचर , खुफिया गिरी से जुड़ा हो तो उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन संसद के द्वारा कानून बनाकर किया जा सकता है |
अनु 34 :- सैनिक क्षेत्र लागू हो वहां मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है तो इसकी क्षतिपूर्ति के लिए संसद कानून बनाएगी । अनु 35 :- मौलिक अधिकारों में परिवर्तन संबंधी अधिकार केवल संसद के पास है। |
Conclusion :- इस आर्टिकल में मौलिक अधिकारों की परिभाषा और इसके साथ-साथ मौलिक अधिकारों से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य तथा मौलिक अधिकार कहां से लिए गए हैं ? मौलिक अधिकारों की प्रकृति कैसी है ? संपत्ति के अधिकार को क्यों हटाया गया था ? वर्तमान में मौलिक अधिकार कितने प्रकार के हैं ? इसके बारे में विस्तार से चर्चा की है इससे संबंधित काका कालेलकर आयोग के बारे में विस्तृत से जानकारी आप तक पहुंचाई है आशा है कि आपको हमारा यह पेज पसंद आया होगा अगर इससे संबंधित आपका कोई सुझाव हो तो कमेंट बॉक्स मे जरूर बताएं।
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मौलिक अधिकार क्या है और यह कितने प्रकार के होते हैं?
मौलिक अधिकार पहले 7 थे, अब 6 है। मूल संविधान में 7 प्रकार मौलिक अधिकार थे, लेकिन 44 वें संविधान संशोधन, 1978 के द्वारा संपत्ति का अधिकार (अनु. 31) को हटाया गया और इसे संविधान के अनु. 300(a) में कानूनी अधिकार के रूप में रखा गया। इस प्रकार आज भारतीय संविधान में 6 मौलिक अधिकार का वर्णन हैं।