Rajasthan ki Bavdiya: राजस्थान की प्रमुख बावड़ियां प्रतियोगी परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण बावड़ियां सम्पूर्ण जानकारी जाने यह

नमस्कार मेरे प्रिय साथियों आज मैं आपको राजस्थान की कला,संस्कृति को आगे बढ़ाते हुए  Rajasthan ki Bavdiya पर चर्चा करते हैं।  बावड़िया क्या होती है? इन की परिभाषा क्या होती है? बावड़ियो को बनाने वाले क्या कहलाते हैं? बावड़िया में कहां के कलाकार है? बावड़िया की कला का आगमन कैसे हुआ? बावड़ियां का शहर किसे कहा जाता है? प्रमुख बावड़ियां यह सारी बातें आपको पता होनी चाहिए। हम इस आर्टिकल में विस्तार से राजस्थान की प्रमुख बावड़ियां इस पर चर्चा करने वाले हैं।

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Rajasthan ki Bavdiya
Rajasthan ki Bavdiya 

  • ऐसा जलकुंड जिसके तल या पेंदे तक पहुंचने के लिए सिंढिया लगी हो उसे बावड़ी कहा जाता है।
  • भारत में कुआं और बावडिया  का निर्माण शिथियन जाति से प्रारंभ माना जाता है।
  • तो यह से एक अच्छा प्रश्न बन सकता है कि किस जाति या विदेशी जाति से बावड़िया की उत्पत्ति हुई है तो आपका उत्तर होगा शिथियन जाति।

Bavdi Kya Hai

  • कभी-कबार प्रश्न साधारण परिचय से परीक्षा में बन जाता है साधारण परिचय आपको हर जगह लिखा हुआ नहीं मिलता है इसलिए पहले इन बातों पर चर्चा की है बावड़ियां के नामकरण तो आप हर मानक पुस्तक से पढ़ लेंगे उनसे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन हमारा लक्ष्य सबसे अलग व परीक्षा में पूछे जाने वाला कंटेंट आपको उपलब्ध कराना है।
  • बावड़ियां का नाम याद रखने से काम नहीं चलेगा क्योंकि बावड़ियां के नाम लाखों विद्यार्थियों को याद है। लेकिन इसके साथ कुछ महत्वपूर्ण जानकारी भी होनी चाहिए।

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Bavdiya In Rajasthan बावड़ियां का साधारण परिचय

  • राजस्थान में बावडियों का शहर बूंदी को कहा जाता है।
  • बावड़ी निर्माण के सर्वाधिक दक्ष कलाकार भीनमाल (जालौर) क्षेत्र के माने जाते हैं।
  • बावड़ी निर्माण का कार्य करने वाले व्यक्ति डागा बावड़ा कहलाते हैं।
  • बावड़ियां का वास्तुकार या शिल्पी का कगरिया का जाता है।

चांद बावड़ी-आभानेरी दौसा

Rajasthan ki Bavdiya

  • इसका निर्माण चांद ने करवाया था।
  • राजस्थान की सबसे गहरी बावड़ी यही है।
  • राजस्थान की तिस्मिल्ला बावड़ी कहलाती है।
  • यह बावड़ी मंदिरों हेतु प्रसिद्ध है।
  • इस बावड़ी के किनारे हर्ष मंदिर, हर्षद माता मंदिर इत्यादि स्थित है।
  • नोट:- एक अन्य चांद बावड़ी जोधपुर में स्थित है जिसका निर्माण राव जोधा की पत्नी चांद कंवर ने करवाया इस बावड़ी को चौहान बावड़ी भी कहते हैं।

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नौलखा बावड़ी-डूंगरपुर

  •  इस बावड़ी का निर्माण 1602 आसकरण की पत्नी प्रीमल देवी या तारा देवी द्वारा करवाया गया।
  • इसका वास्तुकार लीलाधर था।
  • इसका निर्माण कार्य अत्यधिक महंगा होने के कारण इसे नौलखा बावड़ी कहते हैं।

रानी जी की बावड़ी-बूंदी Rani Ji Ki Bawdi Bundi

  • इस बावड़ी का निर्माण अनिरुद्ध सिंह की पत्नी लाड कंवर नाथावती ने करवाया।
  • इस बावड़ी को जलिया, भगोलिया बावड़ी का जाता है।
  • यह बावड़ी गीतों के लिए प्रसिद्ध है।
  • इस बावड़ी को बुवाजी-भतीजी बावड़ी कहा जाता है।

अनार बावड़ी-बूंदी

  • इसका निर्माण शत्रु साल की पत्नी अनार देवी ने करवाया था।
  • इस बावड़ी को बगीचा बावड़ी भी कहते हैं।

बूंदी की प्रमुख बावड़ियां

  1. भावला बावड़ी
  2. काकाजी की बावड़ी
  3. नानकपुरिया बावड़ी
  4. नांदर घुस बावड़ी
  5. लसकारिया बावड़ी
  6. दुधा बावड़ी

चित्तौड़गढ़ की प्रमुख बावड़ियां

  1. घी तेल बावड़ी
  2. घोसुंडी बावड़ी
  3.  खातन की बावड़ी
  4. सूर्य मुख कुंड बावड़ी
  5. गौमुख कुंड बावड़ी

जयपुर की प्रमुख बावड़ियां

  1. चुली बावड़ी
  2. चार घोड़ों की बावड़ी
  3. मांजी बावड़ी
  4. पन्ना मीणा बावड़ी

जोधपुर की प्रमुख बावड़ियां

  1. एक चट्टान बावड़ी
  2. तुअर जी की बावड़ी
  3. पन्नाराय की बावड़ी
  4. नाजरजी बावड़ी
  5. जालप बावड़ी
  6. खंडा बावड़ी

दौसा की प्रमुख बावड़ियां

  1. लवाण बावड़ी
  2. झाझमरामपुरा बावड़ी
  3. राजा रसालू बावड़ी
  4. आलु कुबाणिया बावड़ी

पन्ना मीना की बावड़ीआमेर जयपुर Panna Meena Ki Bawdi

  • 17 वीं सदी की अत्यंत आकर्षक इस बावड़ी के एक ओर जयगढ़ दुर्ग व दूसरी ओर पहाड़ों की नैसर्गिक सुंदरता है।
  • यह अपनी अद्भुत आकार की सीढ़ियों, अष्टभुजा किनारों और बरामदों के लिए विख्यात है।
  • चाँद बावड़ी तथा हाड़ी रानी की बावड़ी के समान इसमें भी तीन तरफ सीढ़ियाँ है। इसके चारों किनारों पर छोटी-
  • छोटी छतरियां और लघु देवालय इसे मनोहारी रूप प्रदान करते हैं।

प्रतियोगी परीक्षा उपयोगी अन्य महत्वपूर्ण बावड़ियां

  1. चमना बावड़ी-भीलवाड़ा
  2. हाड़ी रानी की बावड़ी-टोडा रायसिंह, टोंक
  3. चोर बावड़ी-उदयपुर
  4. मेड़तणी बावड़ी-झुंझुनू
  5. जच्चा बावड़ी-हिंडौन करौली
  6. नारायणी माता कुंड-अलवर
  7. भिकाजी जी की बावड़ी-अजमेर
  8. दाहर बावड़ी-अजमेर
  9. बाई जी की बावड़ी-भीलवाड़ा
निष्कर्ष :- आज के इस आर्टिकल में हमने राजस्थान की प्रमुख बावड़ियां पर विस्तार से चर्चा की है। हालाँकि ये टॉपिक छोटा है लेकिन कई परीक्षा में यहाँ से सवाल बना है इसलिए आप को बताना जरुरी समझा। अगर आप को पंसद आया तो अपने दोस्तों की साथ शेयर जरूर करे ताकि वो भी हमारे साथ जुड़ जाये। जिससे वो भी अपने प्रतियोगी परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण जानकारी यहाँ से प्राप्त कर सके।

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राजस्थान की प्रसिद्ध बावड़ी कौन सी है?

चाँद बावड़ी‘ का निर्माण ९वीं शताब्दी में आभानेरी के संस्थापक राजा चंद्र ने कराया था। राजस्थान में यह दौसा जिले की बाँदीकुई तहसील के आभानेरी नामक ग्राम में स्थित है। बावड़ी १०० फीट गहरी है।

राजस्थान में कुल कितनी बावड़ी है?

बूंदी में तकरीबन 71 छोटी-बड़ी बावड़ियां हैं। बूंदी की सुन्दरतम ‘रानी जी की बावड़ी’ की गणना एशिया की सर्वश्रेष्ठ बावड़ियों में की जाती है।

राजस्थान की सबसे बड़ी बावड़ी जो जोधपुर में स्थित है उसका नाम क्या है?

मन की बात: एक तरह से बावड़ियां जल मंदिर ही तो हैं। चांद बावड़ी भारत की सबसे बड़ी, खूबसूरत और मशहूर बावड़ी में से एक है। (ये संभवत: आभानेरी चांद बावड़ी है)। हां, ध्यान देने वाली बात यह है कि जोधपुर की चांद बावड़ी उस धरती पर है जहां पानी की किल्लत रहती है।

राजस्थान का सबसे बड़ा बावड़ी कौन सा है?

आभानेरी गांव में चांद बावड़ी (स्टेपवेल) राजस्थान के सबसे पुराने और सबसे लोकप्रिय आकर्षणों में से एक है। इसका निर्माण निकुंभ राजवंश के राजा चंदा ने 9वीं शताब्दी ईस्वी में करवाया था। दुनिया के सबसे बड़े बावड़ियों में से एक, चांद बाउरी का निर्माण पानी के संरक्षण और भीषण गर्मी से राहत प्रदान करने के लिए किया गया था।

राजस्थान की सबसे प्राचीन बावड़ी कौन सी है?

हालाँकि राजस्थान की सबसे प्राचीन बावड़ी जयपुर में स्थित थी जो सन् 684 ईं. में बनी थी लेकिन वह सुरक्षित नहीं रह सकी. इसलिए वर्तमान में उपस्थित बावड़ियों में जोधपुर की यह बावड़ी अब सबसे प्राचीन है. सुमनोहरा की बावरी जोधपुर की प्रथम राजधानी रहे मंडोर में स्थित है.

बावड़ियों का शहर कौन सा है?

इन्दौर का परम्परागत जल संरक्षण लोक रुचि का विषय रहा है। कभी यहाँ बीच शहर से दो सुन्दर नदियाँ बहती थीं। यह शहर चारों ओर से तालाबों से घिरा था। यहाँ बावड़ियों की संख्या इतनी ज्यादा थी कि इसे बावड़ियों का शहर कहा जाता था।

दूध बावड़ी कौन से जिले में है?

सही उत्तर माऊण्ट आबू है। दूध बावड़ी माउंट आबू पर स्थित एक कुआं है। यह आधार देवी मंदिर के चरणों में स्थित है। दूध बावड़ी का नाम कुएं के दूध के रंग के पानी के नाम पर रखा गया है।

कौन सा राज्य बावड़ियों के लिए प्रसिद्ध है?

गुजरात राज्य बावड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। पाटन की प्रसिद्ध “रानी की बावड़ी” को जून 2014 में यूनेस्को ने विश्वविरासत स्थल घोषित किया है। विश्व में एशियाई शेर यहीं पाए जाते हैं।

उदयपुर में कौन सी बावड़ी है?

त्रिमुखी बावड़ी रामरस डे (राज सिंह की पत्नी) द्वारा बनाई गई थी। राज सिंह मेवाड़ साम्राज्य (1652-1680) के महाराणा थे।

बूंदी की बावड़ी कौन कौन सी है?

रानीजी की बावड़ी (या रानी की बावड़ी) भारत में राजस्थान राज्य के बूंदी शहर में स्थित एक प्रसिद्ध बावड़ी है। इसे 1699 में रानी नाथावती जी सोलंकी द्वारा बनवाया गया था जो बूंदी के शासक राव राजा अनिरुद्ध सिंह की छोटी रानी थीं।

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