Musical Instruments of Rajasthan : राजस्थान के प्रमुख लोक वाद्य यंत्र, प्रतियोगी परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण वाद्य यंत्र सम्पूर्ण जानकारी जाने यह

हम चर्चा कर रहे हैं राजस्थान की कला संस्कृति पर और इसके अंतर्गत आज एक नया अध्याय राजस्थान के प्रमुख लोक वाद्य यंत्र (Musical Instruments of Rajasthan) इसके बारे में विस्तार से चर्चा करने वाले हैं। मित्रों देखिए वाद्य यंत्र वैसे कोई पढ़ाने का विषय है नहीं फिर भी अपन को थोड़ी बहुत जानकारी पांच-सात लाइन याद रखनी है क्योंकि इनमें से ही सवाल बनकर आता है। लेकिन हम यहाँ पर वाद्य यंत्र से जुड़ी संपूर्ण जानकारी आपको यहा उपलब्ध कराने जा रहे हैं ताकि परीक्षा में कई से सवाल बने आपका गलत नहीं हो।

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प्रतियोगी परीक्षा में लोक वाद्य यंत्र से सवाल

परीक्षा के पिछले पेपरों को उठाकर देखा जाए तो लगभग 99% सवाल एक ही प्रकार का बनता है कोई चार वाद्ययंत्र दे देता है और उनमें से पूछता है उपयुक्त में से कौन सा वाद्य यंत्र सुषिर वाद्य यंत्र है या सुषिर वाद्य यंत्र नहीं है या तत् वाद्य यंत्र है या नहीं कुल मिलाकर कहा जाए तो हमें वाद्य यंत्र की पहचान आनी चाहिए और वाद्य यंत्र की पहचान तब ही आएगी जब आप इन्हें लगातार पढ़ते रहेंगे। इसके अलावा सवाल इनके कलाकार से बन सकता है तो हमने आपकी सुविधा के लिए संपूर्ण जानकारियां (Musical Instruments of Rajasthan) एक ही जगह पर उपलब्ध करवाई है।

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राजस्थान के लोक वाद्य यंत्र के प्रकार

1. सुषिर वाद्य यंत्र :- ऐसे वाद्य यंत्र जिसमें फूंक मारकर आवाज उत्पन्न की जाए उसे सुषिर वाद्य यंत्र कहते हैं।
2. तत् वाद्य यंत्र :- ऐसे वाद्य यंत्र जिनमें तारों से ध्वनि उत्पन्न की जाती है उसे तत् वाद्य यंत्र कहते हैं।
3. अवनद्य वाद्य यंत्र :- ऐसे वाद्य यंत्र जिनको चमड़े से मुड़कर बनाया जाता है एवं चोट करने पर ध्वनि उत्पन्न होती है उसे अवनद्य वाद्य यंत्र कहते हैं।
4.घन वाद्य यंत्र :- ऐसे वाद्य यंत्र जो धातु से निर्मित होते हैं एवं आपस में टकरा कर अथवा पीटने पर ध्वनि उत्पन्न होती है उसे घन वाद्य यंत्र कहते हैं।

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राजस्थान के प्रमुख सुषिर वाद्य यंत्र

1. बांसुरी सुषिर वाद्य यंत्र

बांसुरी सुषिर वाद्य यंत्र

  • बांसुरी इस वाद्य यंत्र का उपनाम मुरली, वेणु, वंश, नादि आदि है।
  • प्रमुख वाद्यक हरिप्रसाद चौरसिया है।
  • यहाँ भगवान श्री कृष्ण का वाद्य यंत्र है।
  • पांच छिदृ वाली बांसुरी पावला कहलाती है।
  • छः छिदृ वाली बांसुरी रुला कहलाती है।
  • वास्तविक बांसुरी में कुल सात छिदृ होते हैं।

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2. अलगोजा सुषिर वाद्य यंत्र

अलगोजा सुषिर वाद्य यंत्र

  • अलगोजा राजस्थान का राज्य लोक वाद्य यंत्र है।
  • इसका निर्माण -दो बांसुरीयो को जोड़कर निर्माण किया जाता है।
  • यहाँ बाडमेर के रण फकीरों का वाद्य यंत्र है
  • इसका प्रमुख वादक – धोधे खाँ है।
  • 1982 में दिल्ली एशियाई गेम्स अलगोजा वादक से शुरू हुआ।

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3. शहनाई सुषिर वाद्य यंत्र

शहनाई सुषिर वाद्य यंत्र

  • शहनाई का उपनाम नफरी, सुन्दरी, हहनाई, हुरनाई।
  • यहाँ मांगलिक/ विवाह के अवसर पर बजाया जाने वाला वाद्य यंत्र है।
  • इसका प्रमुख वादक बिस्मिल्ला खाँ है जिसे 2001 भारत रत्न दिया गया।
  • सुषिर वाद्य यंत्र में सर्वश्रेष्ठ वाद्ययंत्र माना गया है।
  • इसे नकसासी वाद्य यंत्र भी कहा जाता है।
  • इसका वर्तमान कलाकार- हुसैन खाँ माना जाता है।

4. मोरचंग सुषिर वाद्य यंत्र

मोरचंग सुषिर वाद्य यंत्र

  • मोरचंगवाद्य यंत्र राजस्थान का ज्युप हार्प कहते है।
  • सबसे छोटा वाद्य यंत्र है।
  • मश्क वाद्य यंत्र – सर्वाधिक प्रचलन सवाई माधोपुर और अलवर का है
  • भैरुजी के भोपो द्वारा बजाया जाता है।

राजस्थान के प्रमुख तत् वाद्य यंत्र

1. रावण हत्या तत् वाद्य यंत्र

रावण हत्या तत् वाद्य यंत्र

  • रावण हत्या अधकटे नारियल से बना वाद्य यंत्र है।
  • इसमे कुल तारो की संख्या-9 होती है।
  • 1 तार घोड़े की पूछ का बना होता है जिसे पुखावज कहा जाता एवं अन्य तार तरब कहलाते है।
  • लोकदेवताओ के फड़ वाचन के समय उपयोगी जैसे रामदेवजी, पाबुजी

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2. कामयचा तत् वाद्य यंत्र

  • कामयचा में कुल 16 तार होते है।
  • यहाँ एक ईरानी वाद्य यंत्र है।
  • इसी वाद्य यंत्र को सांरगी की रानी कहा जाता है।
  • इस वाद्य यंत्र को प-राजस्थान का सरवट भी कहा जाता है।

3. सारंगी तत् वाद्य यंत्र

  • इसमे कुलतारो की संख्या 27 होती है।
  • सागवान की लकडी व आंत के तारो से निर्मित होती है।
  • यहाँ लगा जाति व मांगणियार जाति द्वारा बजाया जाता है।
  • आलु सारंगी, गुजराती सारंगी, डेमढ़ पसली सारंगी नोट- सिंधि सारंगी को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
  • सारंगी को कामयचा का राजा कहा जाता है।

राजस्थान के प्रमुख घन वाद्य-यंत्र

1. घुंघरु घन वाद्य यंत्र

  • यहाँ लोक नर्तकों एवं कलाकारों का प्रिय वाद्य ‘घुघुरू’ पीतल या कांसे का बेरनुमा मणि का होता है।
  • इस वाद्य यंत्र का नीचे का भाग कुछ फटा हुआ होता है तथा अन्दर एक लोहे, शीशे की गोली या छोटा कंकर डाला हुआ होता है जिसके हिलने से मधुर ध्वनि निकलती है।
  • इसको भोपे लोगों के कमर में बांधने वाले घुंघर काफी बड़े होते है।
  • बच्चों की करधनी तथा स्त्रियों की पायल आदि गहनों में लगने वाले धुंघरु बहुत छोटे होते हैं।
  • नर्तक (स्त्री-पुरुष) के पैरों में घुंघरु होने से छम छम की आवाज बहुत मधुर लगती है।

2. करतात (कठताल) वाद्य यंत्र

  • यहाँ वाद्य यंत्र नारद मुनि के नारायण नारायण करते समय एक हाथ में इकतारा तथा दूसरे साथ में करताल ही होती है।
  • इस वाद्य यंत्र के एक भाग के बीच में हाथ का अंगुठा समाने तायक छेद होता है तथा दूसरे भाग के बीच में चारों अंगुलियां समाने तायक लम्बा छेद होता है।
  • हाथ (कर) से बजाये जाने के कारण करताल’ तथा लकड़ी की बनी होने के कारण इस कठताल कहते हैं।
  • राजस्थान के लोक कलाकार इन्हें इकतारा व तंदूरा की संगत में बजाते हैं।
  • बाड़मेर क्षेत्र में इसका वादन गैर नृत्य में किया जाता है।

3. रमझौल वाद्य यंत्र

  • यहाँ वाद्य यंत्र लोक नर्तकों के पावों में बांधी जाने घुंघरूओं की चोड़ी पट्टी रमझोत कहलाती है।
  • रमझौल की पट्टी पैर में पिण्डली तक बांधी जाती है।
  • इसमें युद्धकला के भाव भी दिखाये जाते है।
  • मवेशियों के गले में बांचे जाने वाले रमझोत को घूंघरात कहा जाता है।

4. लेजिम वाद्य यंत्र

  • गरासिया जाति के लोगों का वाद्य यंत्र है।
  • इसका वादन वे नाच गान के आयोजनों में करते है।
  • यह वाद्य यंत्र बांस की धनुषाकार बड़ी लकड़ी में तोहे की जंजीर बाँध दी जाती है और उसमें पीतल की छोटी-छोटी गोल-गोल पत्तियां लगा दी जाती है।

5. श्रीमण्डल वाद्य यंत्र

  • राजस्थान के लोक वाद्यों में यह बहुत पुराना वाद्य माना जाता है।
  • खड़े झाड़नुमा इस वाद्य में चांद की तरह के गोल-गोल छोटे-बड़े टंकारे लटकते हुए लगे रहते है।
  • इसका वादन मुख्यतः वैवाहिक अवसरों पर बारात के समय किया जाता है।
  • हाथों में दो पतली डंडी लेकर बजाये जाने वाला यह वाद तरंग वाद्य यंत्र है।

6. मंजीरा

  • मंजीरा वाद्य यंत्र गोलाकार कटारीनुमा युग्म चाय है, जो पीतल और काँसे की मिश्रित धातु का बना होता है।
  • यहाँ दोनों मंजीरों को आपस में आधारित करके ध्वनि उत्पन्न की जाती है।
  • यहाँ वाद्य यंत्र तेरहताली नृत्य कामह जाति की महिलाओं द्वारा मंजीरों की सहायता से ही किया जाता है।
  • इसको गायन वादन तथा नृत्य में तय के भिन्न-भिन्न प्रकारों की संगति के लिए इस वाद्य का प्रयोग होता है।

अन्य प्रमुख घन वाद्य यंत्र निमंलिखित है

  1. टकोस/टिकोरा (घंटाल)
  2. वीर घटा
  3. श्रीमण्डल
  4. झालर
  5. झाँझ
  6. चिमटा (वीपी)
  7. हाकल
  8. डांडिया
  9. खडताल
  10. घड़ा (मटका / घट)

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