Forts of Rajasthan : राजस्थान के दुर्ग प्रतियोगी परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण दुर्ग सम्पूर्ण जानकारी जाने यह

वर्तमान में चल रही प्रतियोगिता परीक्षा व अन्य परीक्षाओं को मध्य नजर में रखते हुए एक ही जगह पर Forts of Rajasthan के बारे में विस्तार से जानकारी यहां पर दी गई है यहां पर दी गई जानकारी के अनुसार इन से बाहर कोई भी सवाल बनने की आशंका नहीं है। इस पोस्ट में राजस्थान के प्रमुख दुर्ग के बारे में प्रतियोगी परीक्षा को मध्य नजर रखते हुए यहाँ पोस्ट बनाई गई है. साथ ही साथ विद्यार्थियों के लिए नोट्स (PDF) शेयर किया गया है, जिसे आप इस पोस्ट में नीचे दिए गए डायरेक्ट डाउनलोड बटन की सहायता से निशुल्क डाउनलोड कर सकते है।

Forts Of Rajasthan
Forts Of Rajasthan

Forts Of Rajasthan

बहुत से विद्यार्थियों को यह पता नहीं होता है कि दूर्ग और किला में अंतर क्या होता है। दुर्ग ऐसा भवन जिसमें राज्यों की सुरक्षा हेतु पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हो उसे दुर्ग कहते हैं। किला राज्यों का छोटा भवन जिसमें सुरक्षा के पर्याप्त संसाधन ना हो उसे किला कहते हैं। दुर्गों का पहला प्रमाण हड़प्पा सभ्यता से मिलता है। दुर्गों का सर्वप्रथम वर्गीकरण मनु ने मनु स्मृति में किया गया जिसके आधार पर दुर्ग 6 प्रकार के होते हैं।

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कौटिल्य के अनुसार दुर्गों की चार श्रेणियां –

  1. गिरी दुर्ग- वह दुर्ग जो पहाड़ी पर स्थित होता है।
  2. औदुक दुर्ग- नदियों के संगम पर स्थित दुर्ग।
  3. वन दुर्ग- जंगलों से घिरा हुआ दुर्ग।
  4. धान्वन दुर्ग- समतल भूमि पर स्थित दुर्ग।

शुक्र नीति के अनुसार दुर्गों की नव श्रेणियां –

  1. गिरी दुर्ग- गिरी, पर्वत का एक पर्याय है। इसीलिए ऐसे दुर्ग को पर्वत में स्थित है अथवा ऐसा दुर्ग जो चारों से पर्वत या पहाड़ से घिरा है, वैसे दुर्ग को गिरी दुर्ग कहा जाता है। जैसे- चितौरगढ़ दुर्ग, नाहरगढ़ दुर्ग आदि।
  2. एरण दुर्ग- ऐसा दुर्ग जहां तक पहुंचने का मार्ग कठिन हो।
  3. पारीक दुर्ग- वह दुर्ग जो चारों तरफ गहरी खाई से युक्त होता है।
  4. परीध दुर्ग- ऐसा दूर जिसमें चारों तरफ परकोटा होता है।
  5. सहाय दुर्ग- सैनिकों और आमजन दोनों निवास करते हैं। जैसे चित्तौड़गढ़ का दुर्ग सोनारगढ़ का दुर्ग आदि।
  6. जल दुर्ग- ऐसा दुर्ग या किला जो चारों और से जल से घिरा होता है, ऐसे दुर्ग को जल दुर्ग कहा जाता है। जैसे- गागरोन का किला आदि।
  7. धान्वन दुर्ग- ऐसा दुर्ग को मरुस्थल पर बना होता है, यानि जिसके चारों तरफ रेत से रेत होता है, ऐसे दुर्ग को धान्वन दुर्ग काहा जाता है। जैसे- जैसलमेर दुर्ग आदि।
  8. स्थल दुर्ग- इसे मही दुर्ग के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रकार के दुर्ग स्थल पर बने होते है, इस प्रकार के दुर्गी का प्रस्तर प्राय ईंट से बना होता है। जैसे- चौमु का किला आदि।
  9. पारीख दुर्ग- इस प्रकार के दुर्ग ऐसी जगह में बने होते है जिसके आस-पास चारों तरफ गहरी खाई होती है। जैसे- लोहागढ़ दुर्ग आदि।

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राजस्थान के 6 दुर्गों को यूनेस्को ने विश्व विरासत में शामिल किया 21 जून 2013 को 6 दुर्ग निम्नलिखित है गागरोन, जैसलमेर, रणथंभौर दुर्ग, चित्तौड़गढ़, कुंभलगढ़ और आमेर का किला।

राजस्थान के दुर्ग महत्वपूर्ण प्रश्न

  • राजस्थान का मध्य दुर्ग तारागढ़ दुर्ग है
  • राजस्थान में उत्तरी सीमा का प्रहरी या रक्षक भटनेर का दुर्ग हनुमानगढ़ को कहते हैं
  • राजस्थान में पश्चिमी सीमा का प्रहरी सोनारगढ़ जैसलमेर को कहते हैं
  • राजस्थान में पूर्वी सीमा का पहरी लोहागढ़ भरतपुर को कहते हैं
  • राजस्थान के मध्य में स्थित दुर्ग तारागढ़ दुर्ग है
  • राजस्थान में दक्षिण सीमा का पहरी/रक्षक चित्तौड़गढ़ दुर्ग को कहा जाता है।
  • राजस्थान का सबसे प्राचीन दुर्ग भटनेर का दुर्ग हनुमानगढ़ है
  • राजस्थान का सबसे नवीन दुर्ग मोहनगढ़ जैसलमेर है
  • राजस्थान में सर्वाधिक विदेशी आक्रमण भटनेर के दुर्ग पर हुए थे
  • राजस्थान में सर्वाधिक स्वदेशी आक्रमण तारागढ़ अजमेर दुर्ग पर हुए थे
  • राजस्थान में सर्वाधिक बुर्जो वाला किला सोनारगढ़ दुर्ग है।
  • राजस्थान में मिट्टी से निर्मित दुर्ग लोहागढ़ भटनेर का दुर्ग है
  • राजस्थान में गहराई में स्थित दुर्ग लोहागढ़ दुर्ग है।

सोनारगढ़ दुर्ग जैसलमेर (Forts of Rajasthan Sonargarh Fort Jaisalmer)

Sonargarh Fort Jaisalmer
Sonargarh Fort Jaisalmer
  • सोनारगढ़ दुर्ग का निर्माण 1155 ईसवी में जैसल भाटी के द्वारा करवाया गया था
  • इस दुर्ग की श्रेणी धान्वन है
  • इस दूर की प्रवेश द्वार को अक्षय पोल कहते हैं
  • सोनारगढ़ दुर्ग के प्रमुख उपनाम रेगिस्तान का गुलाब, गोहरागढ़, राजस्थान का अंडमान, स्वर्ण गिरी, गलियों का किला, पश्चिमी सीमा का प्रहरी आदि
  • इस दुर्ग की छत लकड़ियों से निर्मित है
  • इस दूर पर 2009 में ₹5 का डाक टिकट जारी किया गया।
  • राजस्थान में सर्वाधिक बुर्जो वाला किला, पीले पत्थरों से निर्मित दुर्ग, गढीसर या घडसीसर झील स्थित है।
  • इस दुर्ग के प्रमुख महल बादल महल, गज विलास महल, जवाहर विलास, शिशु महल आदि
  • इस दुर्ग के प्रमुख मंदिर लक्ष्मीनाथ जी का मंदिर इनकी मूर्ति मेड़ता से लाई गई, लक्ष्मीनाथ जी को जैसलमेर शासकों के आराध्य देव कहा जाता है. आदिनाथ का मंदिर इस दूर्ग का सबसे प्राचीन मंदिर है।
  • जैसलमेर दुर्ग में जैसलु कुआं स्थित है
  • सोनारगढ़ दुर्ग डाई शाको के लिए प्रसिद्ध है।
  • जैसलमेर का प्रथम शाका 1312 ईस्वी में हुआ। इस शाखा के समय जैसलमेर का शासक मूलराज द्वितीय था और आक्रमण अलाउद्दीन खिलजी ने किया था।
  • जैसलमेर का दूसरा साका 1370 ईस्वी में हुआ इस समय जैसलमेर का शासक दुदा था और आक्रमण फिरोज़ शाह तुगलक ने किया
  • अर्ध साका 1550 में इस समय केसरिया राव लुणकर्ण ने किया और आक्रमण कंधार शासक अमीर अली का था, राजस्थान इतिहास का एकमात्र अर्थ शाका।

अबुल फजल ने इस दुर्ग के बारे में कहा है घोड़ा कीजे काठ का पग कीजे पाषाण शरीर रखे बख्तरबंद तै पहुंचे जैसल मे

सोनारगढ़ किला, जिसे जैसलमेर किले के नाम से भी जाना जाता है, भारत के राजस्थान के जैसलमेर शहर में स्थित एक विशाल किला है। किला 1156 ईस्वी में भाटी राजपूत शासक रावल जैसल द्वारा बनाया गया था और यह दुनिया के सबसे बड़े किलों में से एक है। किला शहर के ऊपर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है और 99 बुर्जों के साथ 30 फुट ऊंची दीवार से घिरा हुआ है।

किला अपने पीले बलुआ पत्थर की वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है और इसकी दीवारों के भीतर कई महल, मंदिर और अन्य संरचनाएं हैं। किले के भीतर कुछ प्रमुख आकर्षणों में राज महल, जैन मंदिर, लक्ष्मीनाथ मंदिर, और जटिल हवेलियाँ या धनी व्यापारियों की हवेली शामिल हैं।

राज महल शाही परिवार का महल था और इसमें कई अलंकृत छज्जे, मेहराब और स्तंभ हैं। किले के भीतर जैन मंदिर अपनी जटिल नक्काशी और चित्रों के लिए जाने जाते हैं। लक्ष्मीनाथ मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और अपनी आश्चर्यजनक वास्तुकला और जटिल नक्काशी के लिए जाना जाता है।

किले के भीतर की हवेलियाँ भी प्रमुख आकर्षण हैं और क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति और विरासत को प्रदर्शित करती हैं। कुछ प्रसिद्ध हवेलियों में पटवों की हवेली, नथमल की हवेली और सलीम सिंह की हवेली शामिल हैं। इन हवेलियों में उत्कृष्ट नक्काशी, जटिल जाली का काम, और शानदार भित्तिचित्र हैं जो कभी वहां रहने वाले धनी व्यापारियों के जीवन और समय को दर्शाते हैं।

सोनारगढ़ दुर्ग राजस्थान राज्य के जैसलमेर शहर में स्थित है। यह एक किले का निर्माण है जो राजपूत शासकों द्वारा बनवाया गया था। सोनारगढ़ दुर्ग जैसलमेर के प्रमुख आकर्षणों में से एक है और इसे भारत के सबसे विश्वसनीय पर्यटन स्थलों में से एक माना जाता है। इस दुर्ग का निर्माण पत्थरों, लकड़ी और घास के रेतीले मिट्टी से किया गया है और यह अपनी सुंदरता और स्थान के लिए जाना जाता है। इस दुर्ग का निर्माण वर्ष 1156 ईसा पूर्व में महाराजा जसवंत सिंह द्वारा किया गया था। यह दुर्ग स्थलीय राजस्थानी संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत का एक प्रतीक है और आज भी इसकी महत्ता बरकरार है।

जूनागढ़ दुर्ग- बीकानेर (Junagarh Fort Bikaner)

Junagarh Fort Bikaner
Junagarh Fort Bikaner
  • जूनागढ़ दुर्ग- बीकानेर, जूनागढ़ दुर्ग का निर्माण 1589-1594 रायसिंह द्वारा करवाया गया था।
  • यह दुर्ग राती घाटी, बिका की टोकरी के ऊपर निर्मित दुर्ग है।
  • जूनागढ़ दुर्ग की श्रेणी धान्वन श्रेणी है। इस दुर्ग का वास्तुकार कर्मचंद है।
  • जूनागढ़ दुर्ग के मुख्य द्वार पर गज रूठ जयमल व फता की मूर्तियां स्थित है। यह दुर्ग सूरसागर झील के किनारे स्थित हैं।
  • इस दुर्ग को जमीन का जेवर कहते हैं। बीकानेर दुर्ग राजस्थान का प्रथम दुर्ग जिस में लिफ्ट लगी है।
  • इस दुर्ग में गंगा सिंह का लड़ाकू विमान स्थित है।
  • इस दुर्ग में 33 करोड़ देवी देवताओं का मंदिर अनूप सिंह द्वारा निर्माण मंदिर स्थित है।
  • लक्ष्मीनारायण जी का मंदिर रतन सिंह ने बनाया था।
  • नागणेची माता का मंदिर स्थित है।
  • नोट- नागणेची माता का मूल मंदिर बाड़मेर में स्थित है जिसका निर्माण राव धूहड ने करवाया था।
  • दुर्ग में अनूप महल है जिसका निर्माण अनूप सिंह ने करवाया था और इस महल में बीकानेर राजाओं का राज्य अभिषेक होता था।
  • बीकानेर दुर्ग में बादल महल स्थित है जो सोने की नक्काशी के कार्य हेतु प्रसिद्ध है ‌।
  • गज विलास महल जिसका निर्माण गंगा सिंह द्वारा करवाया गया था इस महल में सोना चांदी से निर्मित बेड, सोफा, वेशभूषा स्थित है।
  • इसी दुर्ग में अनूप संस्कृत पुस्तकालय है जिसका निर्माण अनूप सिंह ने करवाया था अनूप संस्कृत पुस्तकालय में राव कुंभा के ग्रंथों का संकलन है।
जूनागढ़ दुर्ग- बीकानेर
जूनागढ़ दुर्ग- बीकानेर

Junagarh Fort Bikaner

जूनागढ़ किला भारत के राजस्थान राज्य के बीकानेर शहर में स्थित एक ऐतिहासिक किला है। किले का निर्माण 16वीं शताब्दी में मुगल बादशाह अकबर की सेना के एक जनरल राजा राय सिंह ने करवाया था। किले का विस्तार बाद में बीकानेर वंश के अन्य शासकों द्वारा किया गया था।

किला अपनी प्रभावशाली वास्तुकला के लिए जाना जाता है, जो राजपूत, मुगल और गुजराती शैलियों को एक साथ मिलाता है। किला एक खाई से घिरा हुआ है और इसकी दीवारों के भीतर कई आंगन, महल, मंदिर और अन्य संरचनाएं हैं। किले के कुछ प्रमुख आकर्षण में अनूप महल, करण महल, फूल महल और बादल महल शामिल हैं।

अनूप महल किले के भीतर सबसे प्रसिद्ध महल है और अपने उत्कृष्ट सोने की पत्ती के काम और दर्पण के काम के लिए जाना जाता है। फूल महल, या “फूलों का महल”, निजी दर्शकों के लिए इस्तेमाल किया गया था और इसमें जटिल नक्काशी और पेंटिंग हैं।

बीकानेर राजस्थान राज्य में स्थित है और यह एक प्रसिद्ध शहर है जो उत्तर-पश्चिम भारत में स्थित है। यह शहर उदयपुर, जयपुर, जोधपुर आदि से थोड़ी दूरी पर स्थित है और यह राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध दर्शनीय स्थलों में से एक है। बीकानेर के पास थार मरुस्थली की विस्तृत रेगिस्तान है और यहाँ पर भी बहुत सारे प्राचीन इतिहासिक स्थल हैं जैसे कि जैसलमेर किला, जैन मंदिर, लालगढ़ फोर्ट, जूनागढ़ फोर्ट आदि।

Hill Forts of Rajasthan

राजस्थान के पहाड़ी किले भारत के राजस्थान राज्य में अरावली पर्वतमाला पर स्थित छह राजसी किलों का एक समूह है। इन किलों में चित्तौड़गढ़ किला, कुंभलगढ़ किला, रणथंभौर किला, आमेर किला, जैसलमेर किला और गागरोन किला शामिल हैं।

इन किलों का निर्माण मध्ययुगीन काल के दौरान विभिन्न राजपूत राजाओं और सरदारों द्वारा आक्रमणकारी सेनाओं के खिलाफ शक्ति और रक्षा के केंद्र के रूप में किया गया था। उन्हें राजपूत सैन्य वास्तुकला और इंजीनियरिंग के सबसे प्रभावशाली उदाहरणों में से कुछ माना जाता है, जिसमें व्यापक किलेबंदी, जटिल महल और मंदिर और आसपास के परिदृश्य के शानदार दृश्य दिखाई देते हैं।

उनके सांस्कृतिक महत्व और ऐतिहासिक महत्व की मान्यता में, राजस्थान के पहाड़ी किलों को सामूहिक रूप से 2013 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया था। वे अब लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं और दुनिया भर से उन पर्यटकों को आकर्षित करते हैं जो उनकी सुंदरता पर आश्चर्य करने और सीखने के लिए आते हैं। उनके आकर्षक इतिहास के बारे में।

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