Rajasthan ki Chitrashailee: राजस्थान की चित्रकला और बणी-ठनी चित्र शैली के बारे में जाने यहाँ

राजस्थान की चित्रकला के Part 1 में हमने प्रमुख चित्रकला पढ़ ली लेकिन कुछ और महत्वपूर्ण चित्रकला के बारे में विस्तार से यह बताया गया है। अगर आप यह दोनों Part की चित्रकला (Chitrashailee) पढ़ लेते हो तो आपको किसी भी एग्जाम में आने वाला सवाल गलत नहीं होगा। सफलता हमेशा कड़ी मेहनत से आती हैआपको एक एक छोटी से छोटी चीजें यह बताई गई है यानी आर्टिकल में लिखा एक-एक शब्द आपके लिए हीरा-मोती है उसको आप उठाते रहना है और संग्रहित करते रहना है तब जाकर अपनी सफलता प्राप्त होगी।

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Rajasthan ki Chitrashailee

बूंदी चित्र शैली (Chitrashailee)

आरंभ काल सुजन सिंह हाडा
स्वर्णकाल उम्मेद सिंह
प्रधान रंग सुनहरा,चटकीला
प्रमुख चित्रकार सरजन, अहमद, डालू, भीकराज, श्री कृष्ण।

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प्रमुख जानकारी 

  • बूंदी चित्र शैली (Chitrashailee) को पशु पक्षियों की शैली का जाता है
  • वर्षा ऋतु में नाचते हुए मोर का चित्र इस शैली में किया गया है
  • इस शैली में एक अंग्रेज को अपनी प्रेमिका के साथ पियानों बजाते हुए दर्शाया गया है
  • छात्रसाल ने रंग महल का निर्माण करवाया था
  • चित्रशाला का निर्माण उम्मेद सिंह ने करवाया था जिसमें उम्मेद सिंह को सूअर का शिकार करते हुए दर्शाया गया है।
  • बूंदी भाव सिह के काल में इस चित्र शैली पर भोग विलास का प्रभाव पड़ा।
  • रतन सिंह हाडा चित्रकला प्रेमी होने के कारण जहांगीर द्वारा सर बुलंद राय की उपाधि दी गई।
  • विशुद्ध राजस्थानी चित्रकला का प्रारम्भ बूंदी चित्र शैली से माना जाता है।
  • यह शैली मेवाड़ शैली से प्रभावित है इस चित्र शैली में राग भैरव व रागिनी दीपक का चित्रण किया गया है।
  • भाव सिंह के काल में मतिराम ने रसराज ग्रंथ की रचना की।

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कोटा चित्र शैली

आरंभ काल राम सिंह प्रथम
स्वर्ण काल उम्मेद सिंह प्रथम
प्रधान रंग हल्का, नीला
प्रमुख चित्रकार लच्छीराम, नूर, मोहम्मद, गोविन्द, डालु, रघुनाथ, लालचंद।
  • इस चित्र शैली (Chitrashailee) को शिकार की चित्र शैली का जाता है।
  • यह भगवान श्रीराम को हिरण का शिकार एवं महिलाओं को शिकार करते हुए दर्शाया गया है।
  • झाला झालिम सिंह द्वारा निर्मित झाला हवेली भित्ति चित्रों का आकर्षण है।
  • डालूराम ने 1640 ई. में राग माला सेट का चित्रण किया।
  • इस शैली के अन्य चित्र शेर, बत्तख, खजूर एवं मृगनयनी या आमपत्रों के समान आंखों का चित्रण किया गया है।

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जैसलमेर चित्र शैली

आरंभ काल हरराय भाटी
स्वर्णकाल अखैसिंह का काल
प्रधान रंग पीला, गुलाबी
प्रमुख चित्रकार मूलराज, अखैराज, सोन राज।
  • इस चित्र शैली पर किसी बाहरी शैली का प्रभाव नहीं है।
  • महेंद्र व मुमल की प्रेम कथा पर आधारित चित्र शैली है।
  • महेंद्र और मूमल की प्रेम कथा मीनाक्षी स्वामी ने लिखी थी।
  • मुमल पुस्तक की रचना लक्ष्मी कुमारी चुंडावत ने की।

किशनगढ़ चित्र शैली

आरंभ काल सावंत सिंह
स्वर्णकाल सावन सिंह
प्रधान रंग  श्वेत और गुलाबी
प्रमुख चित्रकार मोरध्वज, निहालचंद्र, अमरचंद्र, नागरीदास, लाडीदास, अमरू, नानकराम, नगराम।
महिला चित्रकार संतोष बाई।
  • किशनगढ़ चित्र शैली के उपनाम बणी ठनी चित्र शैली, भारतीय कला इतिहास का लघु आश्चर्य, चित्रों का अमूर्त स्वप्न इत्यादि।
  • यह चित्र शैली अनंतपुर दिल्ली निवासी रसिकप्रिया एवं सावन सिंह के प्रेम पर आधारित हैं।
  • सावंत सिंह के उपनाम नागरी दास, चितवन, मतवाले, चितेरे।
  • बणी ठनी के उपनाम भारत की मोनालिसा, उत्सव प्रिया, लवलीज, कलावंती।
  • किशनगढ़ चित्र शैली को प्रकाश में लाने का श्रेय एरिथ डिक्सन फैयाज अली को जाता है।
  • एरिथ डिक्सन ने बणी ठनी को भारत की मोनालिसा कहा है।
  • बणी ठनी का चित्र 1778 ई. नेहाल चंद्र ने बनाया।
  • बणी ठनी चित्र शैली पर 5 मई 1973 को 20 पैसे का डाक टिकट जारी किया गया था।
  • बणी ठनी चित्र शैली कांगड़ा शैली से प्रभावित है।
  • इस शैली को कागजी शैली भी कहा जाता है।
  • किशनगढ़ चित्र शैली वैष्णव संप्रदाय एवं ब्रज साहित्य से प्रभावित हैं।
  • इस चित्र शैली के प्रमुख चित्र चांदनी रात की संगोष्ठी अमरचंद ने बनाया इसमें गुंदलाव झील के किनारे का दृश्य है ।
  • नागर समुच्चय इसमें बणी-ठणी के 75 चित्रों का समूह है इसकी रचना मोरध्वज निहालचंद ने की थी।
  • दीपावली व सा़झी का चित्र नागरी दास ने चित्रण किया था।
  • बणी ठनी की आंखों का चित्र लाडी दास द्वारा किया गया था।
  • किशनगढ़ चित्र शैली (Chitrashailee) में नारी सौंदर्य का वर्णन है।
  • बणी ठनी की विशेषता मित्र नयन, कजरायु नयन, पतली कमर, लंबे बाल, सुईदार गर्दन, नाक में बेसरी आभूषण, भंवरे, बत्तख, गुलाब का फूल, तैरती नोकाए, सरोवर के किनारे मोतियों का भव्य चित्रण, केले का वृक्ष आदि।

जोधपुर चित्र शैली

आरंभ काल मालदेव का काल
स्वर्ण काल जसवंत सिंह प्रथम
प्रधान रंग पीला और लाल
प्रमुख चित्रकार रामा, नाथा, छज्जु, सेफु, शिवदास, देवदास।
  • जोधपुर चित्र शैली का प्रथम चित्रित ग्रंथ उत्तर ध्यान सूत्र।
  • यह चित्र मालदेव के काल में चित्रित हुआ था।
  • राम रावण युद्ध का चित्रण, सप्तशती के चित्रों का चित्रण चौखेलाव महल में किया गया है।
  • ढोला मारु, पृथ्वीराज रि वेल, वेली कृष्ण रुक्मणी इत्यादि ग्रंथों का चित्रण है।

नागौर चित्र शैली

आरंभ काल अमर सिंह राठौड़
स्वर्ण काल बख्तसिंह
प्रधान रंग हल्का बुझा हुआ रंग
प्रमुख चित्रकार पुरखाराम, मोहन राम, पुर्णाराम, नाथाराम, लिकमाराम, चेलाराम, चिमना राम।
  • प्रमुख चित्र बादल महल के चित्र, जल कुंड में स्नान करती नायिकाएं, पारदर्शी वस्त्र, पंख लगी परिया, सामूहिक बातें करते हुए पुरुष।
  • आर एस अग्रवाल ने नागौर चित्र शैली की वेशभूषा को पर्शियन ग्राउंड का है।

बीकानेर चित्र शैली

आरंभ काल रामसिंह
स्वर्णकाल अनूप सिंह
प्रधान रंग बैंगनी, नीला, जमुनी
प्रमुख चित्रकार  रामलाल, मुन्ना लाल, चौखा, मुकुंद, राशिद, हसन, अलीराज।
  • बीकानेर चित्र शैली के चित्रकार उस्ताद कहलाते हैं क्योंकि यह चित्र के नीचे अपना नाम व तीर्थ अंकित करते हैं।
  • बाल रामायण बाल, महाभारत इत्यादि का चित्रण किस चित्र शैली में हुआ है।

आमेर चित्र शैली

आरंभ काल  मानसिंह प्रथम
स्वर्ण काल  मिर्जा जय सिंह
प्रधान रंग गेरुआ रंग
प्रमुख चित्रकार मुन्नालाल, हुकमचंद, मुरारी, शोभाराम।
  •   मिर्चा जय सिंह ने अपनी पुत्री चंद्रावती के कहने पर बिहारी सतसई एवं रुक्मणी कृष्ण का चित्रण करवाया।

जयपुर चित्र शैली

आरंभ काल सवाई जयसिंह
स्वर्ण काल सवाई प्रताप सिंह
प्रधान रंग हरा गेरुआ
प्रमुख चित्रकार गोपाल, उदय, हुकुमा, साहिबराम, गंगबक्स, सालिग्राम, घासीदास, लक्ष्मण दास, गोपाल दास।
  • मध्यम कद काठी के पुरुष व मध्यम कद काठी की महिलाओं की सुंदरता का वर्णन इस चित्र शैली में किया गया है।
  • रामसिंह 2nd के काल में यूरोपिया चित्रों का चित्रण हुआ।

शेखावटी चित्र शैली (Chitrashailee)

  • इस शैली का सर्वाधिक विकास जहांगीर के काल में हुआ।
  • हवेलियों एवं छतरियों के भित्ति चित्रों हेतु युवा चित्र से अधिक प्रसिद्ध है।
  • उदयपुरवाटी-झुंझुनू में जोगीदास की छतरी पर देवा दास द्वारा की गई चित्रकारी शेखावटी चित्र शैली का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।
  • प्रमुख चित्र लैला मजनू, हीर रांझा, जवाहर जी-डूंगर जी, मोटर गाड़ी, रेलगाड़ी, चिल गाड़ी आदि।
  • प्रमुख चित्रकार बालूराम, चेजारा, जयदेव, तनसुख, तानसेन।

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