Physical Features and Physical Divisions of Rajasthan: राजस्थान के मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय प्रदेश की सम्पूर्ण जानकारी जाने यहाँ

राजस्थान के मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय प्रदेश (Aravalli Ranges) आज के आर्टिकल में इसकी सम्पूर्ण जानकारी दी है। इसमें प्रमुख जिले:- उदयपुर, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, डूंगरपुर, प्रतापगढ़, भीलवाड़ा, सीकर, झुंझुनूँ, अजमेर, सिरोही, अलवर तथा पाली व जयपुर के कुछ भाग ( 13 जिले)  आते है ।

राजस्थान के मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय प्रदेश (Aravalli Ranges)
राजस्थान के मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय प्रदेश (Aravalli Ranges)

मध्यवर्ती अरावली पर्वतीय (Aravalli Ranges) प्रदेश की विशेषताएँ :-

  • विश्व की प्राचीनतम् पर्वत श्रेणियों में से एक अरावली पर्वतमाला राजस्थान के भू-भाग को दो असमान भागों में विभक्त करती है तथा इस प्रदेश के भौतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन को अत्यधिक व सार्थक रूप से प्रभावित करती है।
  • माना जाता है कि प्राचीन काल में अपने उद्भव के प्रारंभ में ये पर्वत श्रेणियाँ काफी ऊँची (वर्तमान हिमालय से भी अधिक) थी परन्तु धीरे-धीरे अनाच्छादन के परिणामस्वरूप बहुत नीची हो गई हैं।
  • इन पर्वतों में ग्रेनाइट चट्टानें भी मिलती है जो सेंदड़ा (ब्यावर) के पास अधिक फैली हुई हैं।
  • इन पर्वत श्रेणियों में प्रौढ़ावस्था को प्राप्त कर चुकी गहरी घाटियाँ हैं।
  • दिल्ली सुपरग्रुप की चट्टानों में क्वार्टजाइट चट्टानों की बहुलता है।
  • इसके अलावा इसमें अरावली सुपर ग्रुप की चट्टानों में नीस, शिष्ट व ग्रेनाइट चट्टाने अत्यधिक हैं।
  • इस क्षेत्र में राज्य की अधिकांश जनजातियाँ निवास करती हैं।
  • अरावली पर्वत राज्य में एक वर्षा (जल) विभाजक रेखा का कार्य करते हैं ।
  • राज्य का सर्वाधिक वार्षिक वर्षा वाला स्थान माउन्ट आबू (लगभग 150 सेमी) इसी में स्थित है।
क्षेत्रफल राज्य के सम्पूर्ण भू-भाग का 9%.
जनसंख्या  राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 10%।
वर्षा  50 सेमी से 90 सेमी।
मिट्टी  काली भूरी लाल व कंकरीली ।
जलवायु उपआर्द्रा जलवायु ।

अरावली पर्वतमाला का विस्तार :-

  • अरावली पर्वतमाला (Aravalli Ranges) का विस्तार कर्णवत्त रूप में दक्षिण-पश्चिम में गुजरात में खेड़ ब्रह्म, पालनपुर से लेकर उत्तर-पूर्व में खेतड़ी सिंघाना (झुंझुनूँ) तक श्रृंखलाबद्ध रूप में है।
  • उसके बाद छोटे-छोटे हिस्सों में दिल्ली तक (रायसीना पहाड़ी, जहाँ राष्ट्रपति भवन स्थित है, तक)) फैली है।
  • इसकी चौड़ाएं व ऊँचाई दक्षिण-पश्चिम में अधिक है जो धीरे-धीरे उत्तर-पूर्व म कम होती चली जाती है।
  • अरावली पर्वत श्रृंखला गोंडवाना केंद्र का अवशेष इनकी उत्पत्ति भूगर्भिक इतिहास के प्री. केम्ब्रियन कल्प (आद्य या प्राचीन कल्प) में (लगभग 650 मिलियन वर्ष पूर्व) हुई थी।
  • इसके दक्षिणी भाग में पठार, उत्तरी एवं पूर्वी भाग में मैदान एवं पश्चिमी भाग में मरुस्थल है।
  • यह पर्वत श्रेणी राज्य में विकणं के (कर्णवत) रूप में दक्षिण पश्चिम से उत्तर-पूर्व की और विस्तृत है।
  • अरावली पर्वत (Aravalli Ranges) प्रारंभ में बहुत ऊँचे थे परंतु अनाच्छादन के कारण ये आज अवशिष्ट पर्वतों (Residual Mountains) के रूप रह गये हैं।
  • अमेरिका के अप्लेशियन पर्वतों के समान हैं।

पर्वतमाला से अति महत्वपूर्ण जानकारी :-

  • अरावली पर्वत श्रेणियों के बीच-बीच में चारों और पहाड़ों से घिरे हुए बेसिन यथा अलवर बेसिन, वैराठ बेसिन, सरिस्का बेसिन, जयपुर बेसित, पुष्कर वासन, उदयपुर बेसिन, राजसमंद बेसिन, ब्यावर बेसिन, अजमेर बेसिन आदि पाये जाते हैं।
  • इस क्षेत्र में कई महत्त्वपूर्ण खनिज बहुतायत से मिलते हैं, जैसे, दाँबा, सीसा, जस्ता, अभ्रक, चाँदी, लोहा, मैंगनीज, फेल्सपार, ग्रेनाइट, मार्बल, चूना पत्थर, एसबेस्टोस आदि।
  • इनका राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान है।
  • मुख्य दरें: देसूरी की नाल व हाथी गुड़ा का दर्रा, केवड़ा की नाल (उदयपुर), जीलवाड़ा (जीलवा) की नाल (पगल्या नाल), सोमेश्वर नाल, शिवपुर घाट (सरूप घाट) दिवेर, हल्दीघाटी का दर्रा एवं देवारी आदि।
  • इस क्षेत्र के पहाड़ी भागों में भील, मीणा, गरासिया, डामोर आदि आदिवासी जनजातियाँ रहती हैं।
  • राज्य की सर्वाधिक ऊँची पर्वत चोटी ‘गुरु शिखर’ (1722 मी.) इसी क्षेत्र माउण्ट आबू (सिरोही) में है।
  • अरावली पर्वत (Aravalli Ranges) श्रृंखला की कुल लम्बाई 692 किमी है जिसमें से 550 किमी (80%) लम्बी राजस्थान में है।
  • अरावली के डालों पर मक्का की खेती विशेषतः की जाती है।
  • अरावली पर्वत विश्व के प्राचीनतम वलित पर्वत (Folded Mountains) हैं।
  • अरावली पर्वत श्रेणी राजस्थान की जलवायु को अत्यधिक प्रभावित करती है।
  • इसमें पहाड़ी ढालों पर विद्यमान वानस्पतिक आवरण से उत्सर्जित आर्द्रता मानसूनी पवनों को आकर्षित कर राज्य में वर्षा कराने में सहायक होती है।
  • यह उत्तर पश्चिम में सिन्धु बेसिन और पूर्व में गंगा बेसिन के मध्य महान् जल विभाजक रेखा (क्रेस्ट लाइन) का कार्य करती है।
  • इसके पूर्व में गिरने वाला पानी नदियों द्वारा बंगाल की खाड़ी में तथा पश्चिम में गिरने वाला पानी अरब सागर में ले जाया जाता है।
  • अरावली पर्वतीय प्रदेश की समुद्र तल से औसत ऊँचाई 930 मीटर है।
  • अरावली की मुख्य श्रेणी क्वार्टजाइट चट्टानों की बनी है।
  • अरावली पर्वतीय प्रदेश की स्थलाकृति : भूगर्भिक संरचना की दृष्टि से अरावली पर्वत श्रेणियाँ प्री-कैम्ब्रिज चट्टानी समूह से सम्बन्धित हैं।
ऊँचाई के आधार पर इस संपूर्ण प्रदेश को निम्न तीन भागों में विभाजित किया जाता है।

1. उत्तरी पूर्वी पहाड़ी प्रदेश
2. मध्यवती अरावली श्रेणी
3. दक्षिणी अरावली प्रदेशb

1. उत्तरी पूर्वी पहाड़ी प्रदेश :-

  • अरावली पर्वतीय क्षेत्र का यह भाग जयपुर की सांभर झील के उत्तर-पूर्व में राजस्थान- हरियाणा सीमा तक फैला हुआ है।
  • इसमें जयपुर जिले के उत्तर-पूर्व में स्थित शेखावाटी एवं तोरावाटी क्षेत्र की पहाड़ियाँ, जयपुर, दौसा एवं अलवर की पहाड़ियाँ शामिल की जाती है।
  • इस भाग की समस्त पहाड़ियाँ अपरदित हैं जो क्वार्टजाइट व फाईलाइट शैलों से निर्मित्त हैं।
  • इस क्षेत्र में अरावली शृंखला अनवरत न होकर दूर-दूर होती जाती है।
  • इस प्रदेश में पहाड़ियों के बीच बीच में उपजाऊ घाटियाँ एवं काँपीय बेसिन पाये जाते हैं।
  • अरावली पर्वतीय प्रदेश के इस भाग की औसत ऊँचाई 450 मीटर है जो कुछ स्थानों पर 750 मीटर से भी अधिक तक पहुँच गई है।
  •  रघुनाथगढ़, (सीकर 1055 मी.), खौ (जयपुर 920 मी.) हर्षनाथ चोटी (820 मी.), बाबाई (झुंझनूं 780 मी.), एच बैराठ (जयपुर 704 मी.), जयगढ़ (648 मी.), नाहरगढ़ (599 मी.), बरवाड़ा (786 मी.) एवं मनोहरपुरा (747 मी.) आदि इस भाग की प्रमुख पर्वत चोटियाँ हैं।
  • अलवर में पुन: अरावली श्रेणियों का सघन विस्तार है।
  • यहाँ के प्रमुख शिखर भैराच (792 मी.), भानगढ़ (649 मी.), सिरावास (651 मी.), अलवर दुर्ग (597 मी.) तथा बिलाली (775 मी.), सरिस्का (677 मी.) आदि हैं।
  • संपूर्ण रूप से अरावली प्रदेश विविध भू-आकृतियों से युक्त प्रदेश है।

2. मध्यवर्ती अरावली श्रेणी (अजमेर से राजसमन्द तक ) :-

  • अरावली पर्वतीय (Aravalli Ranges) प्रदेश मुख्यतः अजमेर जिले में विस्तृत है।
  • इसके अलावा इस भाग में जयपुर एवं पश्चिमी टोंक जिले की पहाड़ियाँ तथा शेखावारी लेन (सीकर-झुंझुनूँ) की निम्न पहाड़ियाँ भी आती हैं।
  • यह भू-भाग जयपुर के दक्षिण-पश्चिमी भाग से लेकर राजसमंद जिले की देवगढ़ तहसील तक विस्तृत है।
  • मध्यवर्ती अरावली क्षेत्र में एक और पर्वत मालाएँ हैं तो दूसरी ओर संकीर्ण घाटियाँ एवं समतल मैदान भी विद्यमान हैं।
  • उत्तरी अजमेर प्रायः समतल भू-भाग है तो व्यावर क्षेत्र अनेकानेक पहाड़ियों से युक्त है।
  • इस क्षेत्र की पहाड़ियों की औसत ऊँचाई 700 मीटर है।
  • इस क्षेत्र में मेरवाड़ा की पहाड़ियों में दाड़गढ़ (अजमेर) स्थित गोरमजी/मायरजी (933 मी.), तारागढ़ (873 मी. राजस्थान बोड की पुस्तक में 870 मी.) एवं नाग पहाड़ (795 मी.) आदि प्रमुख चोटियाँ है।
  • मध्यवर्ती अरावली (Aravalli Ranges) प्रदेश की औसत ऊँचाई 550 मी. है।
  • शेखावाटी निम्न पहाड़ियाँ एवं मेरवाड़ा पहाड़ियाँ इस क्षेत्र के दो भाग हैं।
  • मेवाड़ के उच्च पवार को मारवाड़ के मैदान से पृथक करने वाली पर्वत श्रेणी को मेरवाड़ा की पहाड़ियों के नाम से जाना जाता है।
  • ये अजमेर शहर के निकटवर्ती भागों में पहाड़ियों के समानान्तर क्रम में दृष्टिगोचर होती हैं।
  • ब्यावर तहसील में चार दरें-बर, पखेरिया, शिवपुरघाट एवं सूराघाट हैं।

3. दक्षिणी अरावली प्रदेश (राजसमन्द से आबू तक ) :-

  • यह अरावली पर्वतीय प्रदेश (Aravalli Ranges) मुख्यत: सिरोही, उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, जिलों में तथा प्रतापगढ़ एवं डूंगरपुर जिलों के कुछ भागों में विस्तृत है।
  • वास्तव में यह प्रदेश पूर्णत: पर्वतीय क्षेत्र है।
  • इस प्रदेश में अरावली पर्वत मालाएँ अत्यधिक सघन एवं उच्चता लिए हुई हैं।

इस पर्वतीय क्षेत्र को निम्न दो भागों में बाँटा जा सकता है-

(1) मेवाड़ का चट्टानी प्रदेश,
(2) आबू पर्वत खण्ड।

(1) मेवाड़ का चट्टानी प्रदेश एवं भोरट का पठारी क्षेत्र :-

  • अरावली श्रेणी के इस भू-भाग में उदयपुर, डूंगरपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़ एवं प्रतापगढ़ तथा सिरोही के पूर्वी भाग की पहाड़ियाँ सम्मिलित की जाती हैं।
  • आबू पर्वत खण्ड के अलावा अरावली पर्वत श्रेणी का उच्चतम भाग कुंभलगढ़  गोगून्दा के बीच (उदयपुर के उत्तर-पश्चिम में स्थित भोरठ का पठार है जिसकी औसत ऊँचाई 1225 मीटर है।
  • उदयपुर राजसमंद क्षेत्र की सर्वोच्च चोटी एवं राज्य की चौथी सर्वोच्च चोटी जरगा (1431 मी.) भी इसी क्षेत्र में स्थित है।
  • इस पठार का स्वरूप संश्लिष्ठ गाँठ के रूप में है।
  • इसी भाग में जयसमंद झील के पूर्व में लासड़िया का अनियमित धरातल वाला कटा-फटा पठार है।
  • इस क्षेत्र की अन्य चोटियाँ कुंभलगढ़ (1224 मी.), लीलागढ़ (874 मी.), नागपानी (867 मी.), कमलनाथ की पहाड़ी (1001 मी.), सज्जनगढ़, उदयपुर (938 मी.) एवं ऋषभदेव ( 400 मी.), गोगुन्दा (840 मी.), सायरा (900 मी.), कोटड़ा (450 मी.) आदि हैं।
  • भोरठ के पठार का दक्षिणी स्कन्ध अरब सागर व बंगाल की खाड़ी के जल प्रवाह के बीच महान जल-विभाजक का कार्य करता है।
  • इसी क्षेत्र से भारत की महान् जल विभाजक रेखा उदयपुर से मुड़कर दक्षिण-पूर्व की ओर चली जाती है।
  • इस भाग में पूर्वी सिरोही के पश्चिम में विद्यमान अरावली की तीव्र ढाल वाली व ऊबड़-खाबड़ कटक पहाड़ियों वाले भू-भाग को स्थानीय भाषा में ‘भाकर’ कहते हैं।
  • इसी प्रकार उदयपुर के आस-पास के क्षेत्र में विद्यमान तश्तरीनुमा आकृति वाले पहाड़ों की श्रृंखला को स्थानीय भाषा में ‘गिरवा’ कहते हैं।
  • इस प्रदेश में उदयपुर का उत्तर-पश्चिमी पहाड़ी भू-भाग ‘मगरा’ के नाम से जाना जाता है।
  • चित्तौड़गढ़ का पठारी भाग ‘मेसा का पठार’ कहलाता है।

(ii) आबू पर्वत खण्ड :-

  • अरावली पर्वतीय (Aravalli Ranges) क्षेत्र का उच्चतम भाग आबू पर्वत खंड है जो सिरोही जिले में अवस्थित है।
  • इसको समुद्रतल से औसत ऊँचाई 1200 मी. से भी अधिक है। इसमें ग्रेनाइट चट्टानों की बहुलता है।
  • आबू पर्वत खण्ड लगभग 19 किमी. लम्बा एवं 8 किमी. चौड़ा है। यह एक अनियमित पठार है।
  • स्थलाकृति की दृष्टि से इसे एक विशाल ‘इन्सेलबर्ग‘ कहा जा सकता है।
  • आबू पर्वत से सटा हुआ उड़िया पठार (ऊँचाई 1360 मीटर) राज्य का सर्वोच्च पठार है जो सबसे ऊँची चोटी गुरुशिखर के नीचे है।
  • इसी क्षेत्र में राज्य की दूसरी सर्वोच्च चोटी सेर (1597 मी.), दिलवाड़ा (1442 मी.), अचलगढ़ (1380 मी.), आबू (1295 मी.) एवं ऋषिकेश (1017 मी.) धोनिया (1183 मी.) जयराज (1090 मी.). मानगाँव (923 मी.) स्थित हैं।
  • माउंट आबू क्षेत्र में अरावली की पहाड़ियाँ अत्यधिक सघन एवं उच्चता लिए हुए हैं।
  • यहाँ ये पर्वतमालाएँ सघन रूप से वनाच्छादित एवं प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण हैं।
  • आबू पर्वत खंड के पश्चिम में जसवंतपुरा की पहाड़ियाँ हैं जिनमें डोरा पर्वत (869 मी.) प्रमुख चोटी है।
  • सिवाना की गोलाकार ग्रेनाइट पहाड़ियाँ, जिन्हें छप्पन की पहाड़ियाँ एवं नाकोड़ा पर्वत भी कहते हैं, इसी क्षेत्र में स्थित है।
  • जालौर पर्वतीय क्षेत्र की प्रमुख चोटियाँ इसराना भाखर (839 मी.), रोजा भाखर (730 मी.), झारोला भाखर (588 मी.), सुधा पर्वत (991 मी.) आदि हैं।

जानिए अति उपयोगी अरावली पर्वतमाला (Aravalli Ranges) की जानकारी 

  • अरावली के उत्तरी-पूर्वी छोर पर पोतवार का पठार है। ( दक्षिण पश्चिम में ) अधिक चौड़ी व विस्तृत है।
  • अरावली श्रेणियों में मुख्यत: क्वार्टजाइट, नीस, शिष्ट एवं ग्रेनाइट चट्टानें हैं।
  • यहाँ से निकली नदियों की घाटियों में कई प्राचीन सभ्यताएँ जैसे आहड़ सभ्यता, बालाथल सभ्यता, बागोर सभ्यता आदि विकसित हुई थी।
  • आबू पर्वत पर स्थित राज्य की सबसे ऊँची पर्वत चोटी गुरु शिखर (1722 मी. या 5650 फीट) हिमालय एवं नीलगिरी पर्वतों के मध्य की सबसे ऊँची चोटी हैं।
  • गुरु शिखर को कर्नल जेम्स टॉड ने ‘संतों का शिखर’ कहा है। इसे ‘गुरु माथा’ भी कहते हैं।
  • इस पर्वतीय क्षेत्र में मुख्यत: ढाक, गूलर, हरड़, आम, जामुन, गुग्गल, शीशम, आँवला, नीम, बहेड़ा आदि वनस्पति पाई जाती है।
  • सिवाना (जालौर-बाड़मेर) पर्वतीय क्षेत्र में स्थित गोलाकार पहाड़ियाँ छप्पन की पहाड़ियों के नाम से जानी जाती हैं।
  • यहीं नाकोड़ा पर्वत स्थित है।
  • यहाँ ग्रेनाइट चट्टानों का बाहुल्य है। इसलिए जालौर को ग्रेनाइट नगरी कहा जाता है।
  • नाकोड़ा में भगवान पार्श्वनाथ का प्रसिद्ध जैन मंदिर है तथा अधिष्ठापक देव भैरव का मंदिर है।
  • इस पर्वतमाला का विस्तार उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम तक अरब सागर से आने वाली दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी पवनों की दिशा के समानान्तर है।
  • फलस्वरूप ये पवनें राजस्थान में बिना वर्षा किये उत्तर दिशा में चली जाती हैं।
  •  इस प्रदेश में वन्य जीव अभयारण्यों में विविध जंगली जीव-जंतु पाये जाते हैं जो पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र हैं।
  • अरावली पर्वत पश्चिमी मरुस्थल के पूर्व में विस्तार को रोकता है।

यहाँ भी जाने-

राजस्थान (RAJASTHAN) की स्थिति, विस्तार, आकृति सम्पूर्ण जानकारी 

राजस्थान के प्रमुख मेले और त्यौहार विस्तार से यहाँ वर्णन किया गया है।

Leave a Comment